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घाटे का सौदा साबित हुआ मक्के का स्टॉक, कारोबारियों को लग सकता है एक अरब का घाटा

पूर्णिया : एशिया फेम की मंडी गुलाबबाग में मक्का कारोबार से जुड़े कारोबारियों की इस बार सांसें थम गयीं हैं. मक्का खरीदार के अभाव में कौड़ी के भाव में कारोबारी मक्का बेचने को मजबूर हैं. ऐसे में कारोबारी कंगाली की स्थिति में पहुंच गये हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष मक्का के कारोबार को […]

पूर्णिया : एशिया फेम की मंडी गुलाबबाग में मक्का कारोबार से जुड़े कारोबारियों की इस बार सांसें थम गयीं हैं. मक्का खरीदार के अभाव में कौड़ी के भाव में कारोबारी मक्का बेचने को मजबूर हैं. ऐसे में कारोबारी कंगाली की स्थिति में पहुंच गये हैं.

एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष मक्का के कारोबार को करीब एक अरब का घटा लगा है. इसमें स्थानीय छोटे बड़े कारोबारियों से लेकर, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बेंगलुरु, कोलकाता सहित साउथ इंडिया की कई बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियां शामिल हैं. जानकार कारोबारियों के मुताबिक इस वर्ष मक्का के सीजन में करीब पांच लाख क्विंटल मक्का का स्टॉक मल्टी नेशनल कंपनियों के गोडाउन में किया गया था. इसके अलावा छोटे छोटे कारोबारियों द्वारा भी करीब एक सौ से अधिक गोडाउन में मक्का स्टॉक किया गया था, लेकिन मक्का के बाहरी बाजारों में और मंडी में खरीदार
घाटे का सौदा…
नहीं रहने से अब मक्का के कारोबार में घाटे की बड़ी रकम ने कारोबारियों को कंगाल बना दिया है.
मक्के ने बनाया था इंटरनेशनल मंडी
कृषि मंडी गुलाबबाग में मक्का का कारोबार बिहार के मक्का उपज के आधे से अधिक मक्का के आमदनी और बिक्री से जुड़ा है. कोसी क्षेत्र के अलावा यहां मिथिला के इलाके से भी मक्का आता है, मक्के का बड़ा मंडी होने की वजह से गुलाबबाग मंडी में करीब दो दर्जन मल्टीनेशनल कंपनियों का सेक्टर भी खुला और गोडाउन भी बना है. इस मंडी से देश के कई राज्यों के अलावा बांग्लादेश में भी मक्के का कारोबार फैला, यही वजह रही कि यह मक्का स्टॉक करने का प्रचलन लगातार बढ़ता गया और गोडाउन के साथ बड़ी कंपनियों के आने का रास्ता भी बना.
सीजन में करीब 13 से 14 लाख टन आता है मक्का
गुलाबबाग मंडी में मक्का के कारोबार से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक प्रति वर्ष मक्का उत्पादन के सीजन में तकरीबन 13 से 14 सौ टन मक्का मंडी पहुंचता है. वहीं जिले के कई प्रखंडों और आस पास के जिलों से भी मक्का की लोडिंग होती है. मक्का के कारोबार से जुड़ी आईएलडीसी, लुइस, ड्राइफ्यूस कंपनी, कारगिल, एग्रीकल्चर ट्रेडिंग, एनबीएचसी, नेशनल बल्क हंडिंग कॉर्पोरेशन कंपनी सहित दो दर्जन कंपनियों ने मक्का स्टॉक के लिये गुलाबबाग के आस पास अपनी गोडाउन बना रखी है. इन कंपनियों के द्वारा मक्का स्टॉक करने वाली फूड प्रोसेसिंग फैक्ट्रियों और स्टॉक करने वाली फैक्ट्रियों को फाइनेंस की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है, जिसके आने के बाद से गुलाबबाग में मक्का के स्टॉक का बाजार सुर्खियों में आ गया और एराइवल भी बढ़ा.
5 लाख टन था स्टॉक, 87.5 करोड़ का हुआ घटा
कारोबारियों के अनुसार इस वर्ष इन मल्टीनेशनल कंपनियों के गोडाउन में करीब पांच लाख टन मक्का का स्टॉक बाहरी कंपनियों और स्थानीय कुछ स्टॉकिस्ट द्वारा किया गया था. इसके अलावा सैकड़ों ऐसे गोडाउन गुलाबबाग के आस पास हैं जिसमें छोटे-छोटे स्टॉकिस्ट द्वारा स्टॉक किया गया है. बताया जाता है कि सीजन में मक्का 1250 रुपये प्रति क्विंटल खरीदारी की गयी. आज खरीदार के अभाव में 1200 का दाम बाजार में है. उसपर भी बिकवाली नदारद. स्टॉक में पड़े मक्का में मल्टीनेशनल कंपनियों के 75 प्रतिशत फाइनेंस (स्टॉक फंडिंग) के ब्याज, गोडाउन का भाड़ा, प्रोक्यूमेंट चार्ज, सिक्युरिटी चार्ज कुल मिलाकर जोड़ें तो मक्का के जो दाम चाहिये उससे कम बाजार में दाम है. कारोबारी बताते हैं कि जो हालात हैं उसमें मक्का के बाजार को अरबों का झटका लगा है जिसमें बड़े स्टॉक के अलावा छोटे-छोटे स्टॉक भी शामिल हैं.
नहीं है फूड प्रोसेसिंग प्लांट, होता तो बदल जाती तस्वीर
मक्का के कारोबार को घाटा लगना कारोबारियों और बाहरी कंपनियों को हताश कर रहा है. इसका असर किसानों के सेहत पर भी पड़ने लगा है. इन दिनों मंडी में मक्का लेकर आये किसानों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं, न ही उचित दाम. दरअसल स्टॉक को लेकर बड़ी कंपनियां खुद फंसी है और छोटे कारोबारियों की सांस हलक में अटकी पड़ी है. बहरहाल मक्का के इस हालात पर अब एक बार चर्चा शुरू हो गयी है कि अगर मक्का को लेकर फूड प्रोसेसिंग प्लांट जिले या कोसी के इलाके में लगी होती, तो आज अरबों का घाटा और मक्का उत्पादक किसानों की स्थिति इतनी बदतर नहीं होती.
कोशिशों को नहीं मिला मुकाम, कैसे बदलेगी सूरत
एक तरफ मक्का की खेती कोसी और पूर्णिया जिले में रफ्तार पकड़ चुकी है, रिकाॅर्ड तोड़ उत्पादन और दो दर्जन कंपनियों का मंडी की ओर रुख करना, ऊपर से मल्टी नेशनल कंपनियों द्वारा गोडाउन स्टॉक फंडिंग की सुविधा का लाभ. ऐसे में फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगता है तो मक्का उत्पादक किसानों और कारोबार को मुकाम मिल सकता है. हालांकि इस दिशा में कोशिशें हुई हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. करीब पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन सांसद उदय कुमार सिंह ने बियाडा में मक्का से संबंधित फूड प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर कोशिश की थी, वहीं वर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा और धमदाहा विधायक लेसी सिंह ने भी इस दिशा में प्रयास किया था. इतना ही नहीं अररिया में करीब चार वर्ष पूर्व मक्का से स्टार्च बनने वाली फैक्ट्री लगाने का प्रयास हुआ था. वहां स्थानीय लोगो के विरोध के बाद फैक्ट्री निर्माण काम ठप पड़ गया. जानकार बताते है कि उक्त कंपनी ने अपनी जमीन पर निर्माण कार्य अधूरा छोड़ अपना प्लान वापस कर लिया.

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