बैसा : आजादी के 70 वर्ष बाद भी अगर किसी इलाके का नजारा सदियों पुराना लगे तो यह सवाल लाजिमी हो जाता है कि आखिर विकास की लकीर गांव तक क्यों नहीं पहुंचा पायी है. कुछ ऐसा ही नजारा प्रखंड के सूरजापुर गांव का है, जहां के लोग आज भी एक अदद पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं. गर्मी और जाड़े के मौसम में तो कुछ ठीक भी रहता है, लेकिन बरसात के मौसम में गांव के लोगों की जिंदगी नारकीय बन जाती है.
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पूर्व सांसद के आवास पर भाजपा िकसान मोर्चा िजला समिति की बैठक
बैसा : आजादी के 70 वर्ष बाद भी अगर किसी इलाके का नजारा सदियों पुराना लगे तो यह सवाल लाजिमी हो जाता है कि आखिर विकास की लकीर गांव तक क्यों नहीं पहुंचा पायी है. कुछ ऐसा ही नजारा प्रखंड के सूरजापुर गांव का है, जहां के लोग आज भी एक अदद पक्की सड़क के […]
स्थानीय मो बाबुल, मो अकरम, मो ऐहरार आदि ने बताया कि गांव से निकल कर मुख्य पक्की सड़क तक जुड़ने के लिए लगभग एक किलोमीटर पैदल कच्ची सड़क पर चलना पड़ता है.
बरसात के मौसम में सड़क पूरी तरह कीचड़ में तब्दील हो जाती है, जिसके कारण सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. इस मौसम में लोग घर से बाहर निकलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. वहीं युवा कांग्रेस लोक सभा सचिव सनजीर आलम ने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए कई बार स्थानीय विधायक एवं सांसद से पक्की सड़क बनाने की मांग की गयी है, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही प्राप्त हुआ है. लिहाजा लोग आज भी सड़क के लिए टकटकी लगा कर इंतजार करने को मजबूर हैं.
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