पटना. पिछले दिनों देश के पैमाने पर बाघों की नयी संख्या की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माध्यम से जारी होने के बाद राज्य में बाघों की नई संख्या जुलाई 2023 तक जारी होने की संभावना है. इसे नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) जारी करेगा. फिलहाल राज्य के इकलौते टाइगर रिजर्व वीटीआर में बाघों की संख्या करीब 50 होने का अनुमान है. इसमें पिछले सालों की तुलना में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. ऐसे में बाघों को दूसरी जगह भेजने की भी योजना पर विचार हो रहा है. इसके लिए एनटीसीए की अनुमति मिलने के बाद ही वीटीआर से बाघों को देश के दूसरे टाइगर रिजर्व में में भेजा जा सकेगा.
2010 में थे आठ बाघ
सूत्रों के अनुसार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में वयस्क बाघों की संख्या 2010 में आठ से बढ़कर 2021 में 48 हो गयी थी. इसके अलावा, यहां सात उपवयस्क बाघ और नौ बाघ शावक मौजूद होने का अनुमान है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने बाघों की आबादी को वहन करने की वीटीआर की क्षमता का अनुमान लगाने के लिए ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ (जीटीएफ) से संपर्क किया है. जीटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी निकाय है, जो विशेष रूप से बाघों के संरक्षण के लिए काम करता है.
किस तरह की है परेशानी
सूत्रों के अनुसार वन क्षेत्र के इलाके में बाघिन (मादा बाघ) की अधिक संख्या होने से उनके बीच आपसी द्वंद होने की कम संभावना होती है. वहीं नर बाघ यदि एक से अधिक होते हैं तो उनमें आपसी द्वंद होना सामान्य घटना है. ऐसे में केवल सबसे ताकतवर नर बाघ ही जिंदा रहता है, अन्य नर बाघों को वह मार देता है या फिर अन्य नर बाघ जंगल के उस इलाके को छोड़कर अन्यत्र चले जाना चाहते हैं. इससे आसपास की आबादी को भी खतरे की आशंका रहती है. जानकारों के अनुसार ऐसे में एक से अधिक नर बाघ होने पर एक को छोड़ अन्य को दूसरी जगह भेजने के विकल्प पर विचार करना बेहतर होता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में एपीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) पीके गुप्ता ने बताया कि वीटीआर में जीटीएफ बाघों की आबादी को वहन करने की क्षमता का पहली बार अध्ययन कर रहा है. इसका मकसद बाघों का संरक्षण और मानव-बाघ संघर्ष की घटनाओं में कमी लाना है. उन्होंने कहा कि जीटीएफ की रिपोर्ट के आधार पर हम बाघों को अन्य आरक्षित वनों में स्थानांतरित करने सहित अन्य विकल्प तलाशेंगे.