कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर की दस्तक के बाद ही बिहार के अस्पतालों में मरीजों का तांता लगना शुरु हो गया. आम से लेकर खास लोग प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में लाइन लगाकर किसी तरह एक बेड के इंतजार में खड़े दिखने लगे. वहीं प्राइवेट अस्पताल में कोरोना के इलाज के नाम पर होने वाला खर्च आम लोगों के लिए बड़े मुसिबत का कारण बना. अच्छे इलाज और बेहतर इंतजाम की आस लेकर आयुष्मान कार्ड के भरोसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग भी प्राइवेट अस्पताल की तरफ आए जरुर लेकिन उन्हें निराश होकर ही अस्पताल से बिना भर्ती हुए वापस जाना पड़ा.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी पटना के वैसे प्राइवेट अस्पताल जो प्रधानमंत्री जन आयोग्य योजना के तहत आयुष्मान भारत कार्डधारी मरीजों के मुफ्त इलाज करने के लिए संबद्ध किए गए हैं उन्होंने मरीजों को बहानेबाजी के साथ वापस करने में अपना फायदा देखा. आयुष्मान भारत कार्ड रखने वाले किसी भी मरीज का पटना के प्राइवेट अस्पतालों में इलाज नहीं हो सका. जिसकी पुष्टि सिविल सर्जन और जिला कार्यक्रम समन्वयक ने भी की है.
कोरोनाकाल में कई प्राइवेट अस्पतालों के द्वारा मनमाने तरीके से इलाज के नाम पर पैसा ऐंठने की शिकायत लगातार सामने आयी. जिसके बाद कोरोना संक्रमण के इलाज की दर भी निर्धारित की गई. लेकिन उसके बाद भी कई मामले सामने आए जिसमें प्राइवेट अस्पतालों ने बिना डर-भय के उसी तरह मनमाना चार्ज करना जारी रखा. हालांकि कई जगहों पर शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई भी की गई.
इस दौरान आयुष्मान कार्ड लेकर कई मरीजों के परिजन प्राइवेट अस्पताल दौड़ते रहे. लेकिन आपदा को अवसर बनाने वाले प्राइवेट अस्पताल के प्रबंधन ने उन्हें बहानेबाजी के जरिये बाहर का रास्ता दिखाये रखा. अस्पतालों के अनुसार, सरकार द्वारा आयुष्मान कार्ड पर कोरोना इलाज का नोटिफिकेशन नहीं होने, बेड खाली नहीं होने वगैरह का बहाना बनाया जाता है तो कोई अन्य बहाने सामने रखते हैं. हालांकि आयुष्मान के जिला समन्यवयक ने किसी गोल्डन कार्डधारी कोरोना मरीज के द्वारा अस्पतालों की शिकायत नहीं की गई है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan