पटना : एक दिन में सौ से अधिक लोगों की मौत ने मौसम विज्ञानियों को भी हैरत में डाल रखा है. बिहार में इससे पहले एक दिन में ठनका से 103 लोगों की मौत कभी नहीं हुई थी. मौसम विज्ञानियों का मानना है कि जून माह में नमी की मात्रा सामान्य से काफी ज्यादा है. पूरे बिहार में सामान्यतौर पर नमी की मात्रा 77 से 85 के बीच रहती थी. गुरुवार को जिस समय प्रदेश में ठनका हाहाकार मचा रहा था, उस समय उन इलाकों में 100 फीसदी रही.
पांच साल के अंदर लाइनिंग डेथ रेट जीरो हो जायेगी : क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्वेशन सिस्टम प्रमोशन काउंसेलिंग के निदेशक कर्नल संजय श्रीवास्तव ने बताया कि हमने बिहार और दूसरे राज्यों में वज्रपात को नियंत्रित करने में शानदार कामयाबी हासिल की है. वहां की सरकार ने हमारे सुझावों पर अमल कर सिस्टम बनाया है. बिहार सरकार चाहे तो हम पांच साल के अंदर ठनका की जानलेवा घटनाओं को पूरी तरह नियंत्रित कर सकते हैं. डेथ रेट शून्य कर देंगे़ वरिष्ठ मौसम विज्ञानी एस के पटेल के मुताबिक नमी की बढ़ी मात्रा के चलते लाइटनिंग बढ़ा दी है़ पटेल ने बताया कि इससे ज्यादा लाइनिंग अप्रैल मई में हुआ था़ डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ सत्तार कहते हैं कि इस समय बंगाल की खाड़ी से आने वाली पुरवैया नमी युक्त हवा का प्रवाह जबरदस्त है.
क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्वेशन सिस्टम प्रमोशन काउंसेलिंग के निदेशक मुताबिक बादलों में घर्षण की वजह से बिहार में कई जगहों पर वज्रपात हुआ जिसमें लोगों की मौत हुई. लेकिन आकाशीय बिजली से बचा जा सकता है, सीधा तरीका है कि बिजली कड़कने के वक्त आप पेड़ के नीचे न जाएं और हो सके तो घर में ही रहें. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल बंद कर दें.