गजराज (हाथी) जूता पहने हुए सड़कों पर दिख जाए, तो चौंकिएगा मत. अब गजराज के पैरों में भी जूता होगा. जूता-चप्पल निर्माण के लिए प्रसिद्ध मोरा पचासा में कारीगरों के पास हाथियों के लिए जूते बनाने के ऑर्डर आने लगे हैं. मोरा-पचासा के जूता-चप्पल के कारीगर अनिरुद्ध ने बताया कि उनके पास 3 साथियों के लिए जूते बनाने का ऑर्डर आया है. गया जिला के अख्तर इमाम ने यह आर्डर दिया है. आर्डर मिलने के बाद हाथियों के लिए जूते बनाने का काम शुरू कर दिया गया है और सभी जूते करीब-करीब तैयार हैं.
अनिरुद्ध ने बताया कि हाथियों के पैरों की नाप जैसे-जैसे उन्हें मिलते गए, जूते बनाने का काम पूरा किया जाता रहा. उसने बताया कि हाथियों के 3 जोड़े जूते लगभग तैयार हो गए हैं. हाथियों के जूते बनाने का ऑर्डर देने वाले अख्तर इमाम एरावत ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं हाथियों के विशेषज्ञ भी हैं. उनके पास कई हाथी हैं, लेकिन उन्होंने तीन हाथियों के लिए ही जूते बनाने का आर्डर दिया है.
हाथियों के लिए जूते बनाने के संबंध में पूछे जाने पर अख्तर इमाम ने बताया कि हाथी जंगली जानवर है. पहले वह जंगल व खेतों में खाली पैर ही सफर करते थे. आज के आधुनिक युग में सभी जगह सड़कों का जाल बिछ गया है. अब कहीं भी जाना होता है तो सड़क से होकर ही गुजरना पड़ता है. ऐसे में हाथियों के पैरों में कंकड़-पत्थर गड़ जाना आम बात है. इसके अलावा भीषण गर्मी में सड़कों पर चलने से हाथियों के पैर भी जलते हैं. इससे उन्हें काफी पीड़ा होती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए हाथियों के लिए जूते बनवाने का विचार मन में आया, जिससे उनके पैरों को आराम मिल सके. अख्तर ने बताया कि उनकी देखरेख में कई हाथी है लेकिन तीन हाथियों मोती, रागिनी व बेटी के लिए उन्होंने जूते बनाने के ऑर्डर दिए हैं.
मोची अनिरूद्ध ने बतायाकि हाथियों का शरीर काफी भारी- भरकम होता है. इसलिए उनके लिए मजबूत जूता बनाना जरूरी है. चमड़े से हाथियों के लिए बने एक जोड़ा जूते का वजन 10 किलोग्राम है और एक जोड़ा जूते की कीमत करीब ₹12000 है.
अनिरूद्ध ने बताया कि उनके बुजुर्ग पिता व छोटा भाई जूता बनाने के काम में मदद कर रहे हैं. उसने बताया कि हाथी के जूते का सोल मजबूत होना जरूरी है. इस बात को ध्यान में रखते हुए टायर का सोल बनाया गया है. हाथी के लिए जूते का आकार ऐसा है कि उसके पैर खुले खुले भी रहें.
हाथियों के लिए निर्मित इन जूतों में सैंडल की तरह फीते लगाए गए हैं. जिससे कि जूते पहनने के बाद हाथी को असहज महसूस न हो. असहज महसूस होने पर हाथी इसे तोड़कर फेंक सकते हैं.
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मोरा पचासा में पहले जूता-चप्पल निर्माण से करीब 105 कारीगर जुड़े हुए थे. एनएच-20 के फोरलेन में तब्दील होने के दौरान तोड़फोड़ होने एवं महंगाई की वजह से यह कारोबार अब सिमटना जा रहा है. यहां वर्तमान समय में 20 से 25 दुकानें हैं. अन्य लोग इस पेशे को छोड़कर अन्य रोजगार की तलाश में पलायन कर गए हैं.