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Caste Census: पटना हाईकोर्ट में जातीय गणना पर सुनवाई हुई पूरी, फैसले की तारीख तय

जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गयी. बुधवार को सुनावाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. गुरुवार को हाईकोर्ट फैसला सुनायेगा. पटना हाईकोर्ट में दो दिनों से दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गयीं.

पटना. जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गयी. बुधवार को सुनावाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. गुरुवार को हाईकोर्ट फैसला सुनायेगा. पटना हाईकोर्ट में दो दिनों से दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गयीं. इस दौरान हाईकोर्ट में जातीय सर्वेक्षण की कानूनी बाध्यता, जातीय गणना का अधिकार, गणना के उद्देश्य और इसके कानूनी प्रावधानों पर बहस हुई. जातीय गणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गयी थी, लेकिन वहां याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी गयी कि पटना हाईकोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है.

सरकार ने रखी अपनी दलील

सरकार की ओर से कोर्ट में महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा है कि जन कल्याण की योजनाओं के लिए गणना कराया जा रहा है. महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा है कि बिहार विधानसभा और विधान परिषद से प्रस्ताव पारित होने के बाद जातीय गणना कराने का निर्णय लिया गया है. ये राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है. इसके लिए बजटीय प्रावधान किया गया है. इस गणना से सरकार को गरीबों के लिए नीतियां बनाने में आसानी होगी.

याचिका में रखी गयी रोक लगाने की मांग

याचिकाकर्ताओं ने कहा गया है कि बिहार सरकार के पास जातियों को गिनने का अधिकार नहीं है. ऐसा करके सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है. याचिका में कहा गया कि जाति आधारित गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्यौरा लिया जा रहा है, ये उसके गोपनीयता के अधिकार का हनन है. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार को जाति गणना कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है. साथ ही इस पर खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपए भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है.

दूसरा चरण 15 मई तक चलेगा

बिहार में जनवरी 2023 में जातीय जनगणना का काम शुरू हुआ था. दूसरे चरण का काम 15 अप्रैल से लेकर 15 मई तक चलेगा. पहले चरण में मकानों की गिनती की गयी थी, जबकि दूसरे चरण में जनगणना अधिकारी घर-घर जाकर लोगों की जाति के अलावा उनकी आर्थिक ब्यौरा जमा कर रही है. बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही पटना हाईकोर्ट में अपनी दलील रख रहे थे.याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार केस लड़ रहे हैं.

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