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सीजन से दो माह बाद तक मिलेगी लीची
पटना : लीची को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने और किसानों को अधिक दिनों तक बाजार उपलब्ध कराने की तकनीक भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) मुंबई द्वारा शुरू किया गया है. इस योजना को बिहार में लागू करने के लिए कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार की उपस्थिति में सोमवार को बार्क और बिहार […]
पटना : लीची को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने और किसानों को अधिक दिनों तक बाजार उपलब्ध कराने की तकनीक भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) मुंबई द्वारा शुरू किया गया है. इस योजना को बिहार में लागू करने के लिए कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार की उपस्थिति में सोमवार को बार्क और बिहार राज्य बागवानी मिशन के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया. इसका लाभ इस वर्ष से ही राज्य के लीची किसानों को मिलेगा. बागवानी मिशन लीची किसानों से संपर्क कर रहा है साथ ही इसके लिए स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. इस तकनीक से सीजन के दो माह आगे तक लीची सुरक्षित रखी जा सकेगी.
कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने बताया कि बार्क द्वारा तीन प्रकार का घोल तैयार किया गया है जिसमें बारी-बारी से लीची को डुबो कर कोल्डस्टोरेज में रख देने के बाद कम से कम 60 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि अभी तक 15 टन लीची को इस तकनीकी से सुरक्षित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि अकसर लीची का फल बाजार में फल पकने के 20-25 दिनों के अंदर ही समाप्त हो जाता है.
इस तकनीकी के उपयोग करने से किसानों को अपने उत्पाद का चार-पांच गुना आय में बढ़ोत्तरी हो जायेगी. उन्होंने बताया कि कोई भी किसान अपनी लीची को लीची उपचार केंद्र तक लायेगा.यह केंद्र कोल्ड स्टोरेज के पास स्थापित किया जा रहा है.
जैसे ही लीची का उपचार करके पैक किया जायेगा उसे आधे घंटे के अंदर कोल्ड स्टोरेज में डाल देना है. इस मौके पर उपस्थित बार्क के बायोसाइंस के निदेशक डा सुब्रत चट्टोपाध्याय ने बताया कि बिहार में लीची का पूरे देश में 76 प्रतिशत उत्पादन होता है जबकि एक प्रतिशत भी विदेशों में निर्यात नहीं किया जाता. नयी तकनीक में लीची को कुछ भी नहीं किया जाता है बल्कि उसके सतह को साफ कर दिया जाता है. इसके लिए उसी केमिकल का प्रयोग किया जाता है जो किसी भी ड्रिंक में स्वाद के लिए डाला जाता है. इस उपचार पर चार-पांच रुपये प्रति किलोग्राम का खर्च आता है.
गोदाम से निकाले जाने के बाद इसे कोल्ड चेन का मेंटनेंस किया जाये तो इसे और सुरक्षित किया जा सकता है. कोल्ड चेन के बाहर निकाले के 12 घंटे के अंदर इसका उपयोग कर लेना है. राज्य बागवानी मिशन के मिशन निदेशक अरविंद सिंह ने बताया कि लीची को संरक्षित करने के लिए लीची उपचार केंद्र को 12 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सहायता दी जा रही है जबकि इसके लिए किसान को एक रुपये प्रति किलोग्राम का शुल्क देना होगा. साथ ही कोल्ड स्टोरेज में संरक्षित करने के लिए कोल्ड स्टोरेज को 90 फीसदी अनुदार सरकार दे रही है. यह तकनीकी बिल्कुल सुरक्षित हैं.
सीएम को चार माह पुरानी लिट्टी खिलायी गयी
बिहार में किसी भी आपदा से निबटने के लिए लिट्टी संरक्षित करने की तकनीक विकसित की गयी है.इसी तकनीक से सुरक्षित की गयी चार माह पहले की लिट्टी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खिलायी गयी. कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ गौतम ने बताया कि यह इरैडिएशन तकनीकी से लिट्टी को संरक्षित किये जाने के बाद यह संभव है. बिहार आपदा वाला राज्य है. इसके लिए सरकार को किसी भी आपदा के समय भोजन पहुंचाने में परेशानी होती है.
साथ ही लिट्टी एक बैंलेंस भोजन है जिसमें सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इस मौके पर उपस्थित बार्क के बायोसाइंस के निदेशक डॉ सुब्रत चट्टोपाध्याय ने बताया कि इस तकनीकी से दाल, हल्दी सहित अन्य पदार्थों को संरक्षित किया जा रहा है. इस मौके पर कृषि निदेशक हिमांशु कुमार राय, खाद्य एवं तकनीकी विभाग के डॉ एसके घोष के अलावा कृष्णा गुप्ता सहित विभाग के पदाधिकारी मौजूद थे.
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