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गुरदे की पथरी की सर्जरी के बाद नहीं लगेंगे टांके

पटना : अब गुरदे की पथरी के ऑपरेशन के बाद टांका नहीं लगेगा. दो से ​तीन मिलीमीटर के एक छेद (पेन के रिफिल बराबर) से पथरी कब निकल जायेगी, मरीज को इसका अहसास तक नहीं होगा. इस तरह की सफल सर्जरी परकुटेनियस नेफ्रोलि​थोटॉमी (पीसीएनएल) तकनीक के माध्यम से की जा रही है. यह कहना है […]

पटना : अब गुरदे की पथरी के ऑपरेशन के बाद टांका नहीं लगेगा. दो से ​तीन मिलीमीटर के एक छेद (पेन के रिफिल बराबर) से पथरी कब निकल जायेगी, मरीज को इसका अहसास तक नहीं होगा.
इस तरह की सफल सर्जरी परकुटेनियस नेफ्रोलि​थोटॉमी (पीसीएनएल) तकनीक के माध्यम से की जा रही है. यह कहना है दिल्ली से आये डॉ एसके पाल का. शनिवार को बिहार यूरोलॉजी सोसाइटी की ओर से प्रेकोन इस्ट जोन एवं एनुअल कॉन्फ्रेंस ऑफ बिहार का आयोजन किया गया.
इसका उद्घाटन यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार ने किया. एक छेद से होगा ऑपरेशन, नहीं होगा एहसास : दिल्ली के डॉ एसके पाल ने बताया कि पहले पीसीएनएल में एक सेंटीमीटर तक के छेद किये जाते थे. पथरी निकालने के बाद टांके लगाने पड़ते थे. मगर, अब दो से तीन मिलीमीटर के एक छेद से किसी भी आकार की गुरदे की पथरी को निकाला जा सकता है. यह छेद इतना छोटा होता है कि टांके लगाने की जरूरत नहीं होती.
गुटखा-तंबाकू से दोबारा पथरी का खतरा : जमशेदपुर के डॉ हरपीत सिंह ने कहा कि एक बार पथरी होने के बाद गुटखा, तंबाकू और दूध के उत्पादों का सेवन न करें, इससे दोबारा पथरी होने की आशंका रहती है.

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