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साल भर में शुरू नहीं हुआ काम

घर-घर नल का जल पाइप से पहुंचाने पर साल भर बीतने पर भी काम शुरू नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री के सात निश्चय में पांच साल में हर घर नल का जल योजना में पीएचइडी ग्रामीण टोले में पाइप से जलापूर्ति योजना का ढांचा विकसित नहीं कर सकी है. सीएजी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ […]

घर-घर नल का जल पाइप से पहुंचाने पर साल भर बीतने पर भी काम शुरू नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री के सात निश्चय में पांच साल में हर घर नल का जल योजना में पीएचइडी ग्रामीण टोले में पाइप से जलापूर्ति योजना का ढांचा विकसित नहीं कर सकी है. सीएजी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
पटना. सीएजी ने सोमवार को विधानसभा में 31 मार्च 2016 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट में बिजली कंपनी की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि समय पर न तो बिजली परियोजना पूरी हो रही हैं और न ही उपभोक्ताओं को सही तरीके से समय पर बिजली बिल दिया जा रहा है. बिजली कंपनी की कार्यशैली के कारण सरकार को राजस्व हानि के साथ ही अलग से पैसा खर्च करना पड़ रहा है. सीएजी की रिपोर्ट में गया, भागलपुर और मुजफ्फरपुर में फ्रेंचाइजी व्यवस्था के कारण उपभोक्ताओं को रही परेशानी की ओर भी इशारा किया है. रिपोर्ट के अनुसार फ्रेंचाइजी कंपनी उपभोक्ताओं से पैसा तो वसूल रही है लेकिन अधिकारियों की मेहरबानी के कारण समय पर इसे जमा नहीं कर रही है. इससे भी कंपनी को नौ करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.
विभागीय मॉनीटरिंग की कमी : सीएजी ने वाणिज्यकर की वसूली पर भी सवाल उठाया है. रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है कि 14 अंचलों में 2011 से 2016 के बीच बकाया 378 करोड़ से बढ़कर 3,637 करोड़ हो गया. इस अवधि में 860.79 प्रतिशत की अत्याधिक बढ़ोतरी दर्ज की गयी. इसी तरह 15 अंचलों में बकाया 223.89 करोड़ की वसूली अधिकारियों ने नहीं की.
इसके अलावे विभाग के अपीलीय कोर्ट में 1,719 मामलों में 922.11 करोड़ तथा आयुक्त के न्यायालय में 735 मामले में 281.84 करोड़ बकाया है. इसकी वसूली विभाग की मॉनीटरिंग की कमी के कारण नहीं हो रही है.

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