पटना सिटी : उर्दू किसी कौम की भाषा नहीं, बल्कि हिंदुस्तान की तहजीब है. यह बात सोमवार को श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज में यूजीसी ईआरओ कोलकाता संपोषित व आरपीएम महिला महाविद्यालय समर्थित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने कही. गैर मुसलिम अफसानानिगारों का उर्दू के विकास में योगदान विषय पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर व मगध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो कुसुम कुमारी ने की. मंत्री ने कहा कि समाज में उर्दू को खेमे में नहीं बांट सकते, उर्दू के सबसे बड़े अफसानानिगार तो प्रेमचंद है, जिनके बिना उर्दू के अफसाने का इतिहास धुंधला है.
संगोष्ठी में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के असलम जमेशदपुरी, प्रो शहजाद अंजुम, प्रो अजीमुहल्ला हाली ने अपने विचार रखते हुए उर्दू कहानी के विकास में गैर मुसलिमो के योगदान की चर्चा की, वक्ताओं ने कहा कि उर्दू कभी जनसंपर्क की भाषा था, मजहब की भाषा खेमो में बांट कर बना दिया गया है. सचिव डॉ मो अब्बास ने विषय प्रवेश कराया, तो शहाब जफर आजमी ने संचालन व धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त सचिव डॉ नफीस फातमा ने की. इस मौके पर डॉ दिनेश कुमार, डॉ नरेश प्रसाद सिंह, डॉ अनिल कुमार सिंह, डॉ संजय श्रीवास्तव आिद को सम्मािनत िकया गया.