Advertisement
योजना के पैसे खर्च करना विभागों के लिए चुनौती
पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 के समाप्त होने में सिर्फ 20 दिन बचे हैं, ऐसे में विभागों के समक्ष रुपये को खर्च करना सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है. 15 से ज्यादा विभागों के खातों में 500 करोड़ से ज्यादा रुपये पड़े हुए हैं. अब तक वित्त विभाग ने राज्य के खजाने से […]
पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 के समाप्त होने में सिर्फ 20 दिन बचे हैं, ऐसे में विभागों के समक्ष रुपये को खर्च करना सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है. 15 से ज्यादा विभागों के खातों में 500 करोड़ से ज्यादा रुपये पड़े हुए हैं.
अब तक वित्त विभाग ने राज्य के खजाने से लेन-देन रोकने या नियंत्रित करने से संबंधित कोई आदेश जारी नहीं किया है. वहीं, पिछले तीन-चार वर्षों से वित्तीय वर्ष समाप्त होने के 15-20 दिन पहले वित्त विभाग ट्रेजरी से पैसे की निकासी पर रोक लगा देता था या इसकी सीमा तय कर दी जाती थी. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को मुख्य सचिवालय के सभागार में विभागों के खर्च की स्थिति को लेकर विशेष बैठक हुई. इस दौरान यह बात सामने आयी कि सभी विभागों ने मिल कर चालू वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित योजना आकार 71 हजार करोड़ में 44 हजार 279 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कुल योजना आकार का सिर्फ 61.93 प्रतिशत ही है. जबकि, पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 में अब तक विभागों ने 70 प्रतिशत से ज्यादा रुपये खर्च कर दिये थे. मुख्य सचिव ने सभी विभागों को रुपये खर्च करने के सख्त निर्देश दिये.
हालांकि, विभागों के खर्च की स्थिति को देखते हुए यह आकलन किया जा रहा है कि कुल योजना आकार का 80-85 फीसदी रुपये ही खर्च हो पायेंगे. समीक्षा के दौरान यह बात भी सामने आयी कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य को जितने रुपये मिलने थे, उतने रुपये प्राप्त नहीं हुए हैं. इस वजह से भी योजनाओं में रुपये खर्च नहीं हो पा रहे हैं. कई योजनाओं में केंद्र से रुपये नहीं आने से खर्च के लिए रुपये ही नहीं हैं. करीब 57 योजनाओं में इस बार से केंद्र ने मैचिंग ग्रांट का पैटर्न बदल दिया है. राज्य को सीएसएस के तहत रुपये लेने के लिए 25 से 50 फीसदी तक राज्यांश देना पड़ रहा है. बैठक में योजना आयुक्त शिशिर सिन्हा, योजना विकास के प्रधान सचिव दीपक प्रसाद आदि मौजूद थे.
15 विभागों के खाते में पड़े हैं 500 करोड़ से ज्यादा
पैसे खर्च करना विभागों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है. शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, नगर विकास एवं आवास, पथ निर्माण, पंचायती, पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा कल्याण, ग्रामीण कार्य, ग्रामीण विकास, कृषि, उपभोक्ता संरक्षण समेत 15 विभाग ऐसे हैं, जिनके खातों में 500 करोड़ से ज्यादा रुपये पड़े हुए हैं. इन विभागों ने अगर रुपये नहीं खर्च किये, तो इन्हें सरेंडर करना पड़ेगा. मुख्य सचिव के सख्त निर्देश के बाद यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि सभी विभाग इन रुपये को निर्धारित समय में खर्च कर देंगे.
केंद्र से आये रुपये
सीएसएस में केंद्र से 28 हजार 777 करोड़ में अब तक आये 18 हजार करोड़
केंद्रीय पुल से बिहार को हिस्सेदारी के रूप में 55 हजार 233 करोड़ रुपये मिलने है, अब तक आये करीब 50 हजार करोड़.
बीआरजीएफ में पिछला बकाया समेत चार हजार करोड़ रुपये इस बार मिलने है, अब तक मिले महज 1350 करोड़.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement