पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग प्रश्न पत्र लीक मामले की सीबीआइ से जांच की विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए इस मामले की ‘निष्पक्ष’ जांच होगी जिसमें किसी का भी नाम आये बख्शा नहीं जायेगा. बिहार विधानमंडल के संयुक्त सत्र को गत 24 फरवरी को राज्यपाल राम नाथ कोविंद के अभिभाषण बिहार विधानसभा में सरकार की ओर से जवाब देते हुए नीतीश ने भाजपा के सरकार पर गलत करने वालों जिनमें कुछ मंत्रियों और सत्तापक्ष के विधायकों तथा एक छात्रा के साथ यौन शोषण मामले में फरार एक कांग्रेस नेता को बचाने के आरोप को खारिज कर दिया.
नीतीश की विपक्ष को नसीहत
उन्होंने कहा कि चाहे वह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में टापर्स घोटाला, बिहार कर्मचारी चयन आयोग का प्रश्न पत्र लीक मामला हो, अवैध पत्थर उत्खनन का मामला अथवा सबौर कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति से संबंधित मामला आदि हो सब को लेकर हमलोगों का रुख और रवैया पूरे तौर पर स्पष्ट है. नीतीश ने भाजपा पर उपहास करते हुए कहा कि वे उनसे कहेंगे कि ऐसे मामलों की जांच के लिए पुलिस अधिकार दिए जाने के लिए आईपीसी और सीआरपीसी में संशोधन के वास्ते सदन में प्रस्ताव लाएं हम उसे पारित करने में सहयोग करेंगे और अगर उसपर राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हो जाती है तो भाजपा नेताओं को उनकी इच्छा के अनुसार बीएसएसी मामले और अन्य मामलों का जांच अधिकारी बना देंगे.
कानून अपना काम करेगा-सीएम
मुख्यमंत्री का जवाब शुरू होने पर भाजपा सहित राजग के अन्य सदस्य सदन से बहिगर्मन कर गये थे और वे उनके जवाब के अंत में सदन में वापस लौटे. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में इंटरमीडिएट परीक्षा टापर्स घोटाला में गडबडी की पुष्टि होने पर इस मामले में पुलिस केस दर्ज हुआ और एक एक कर लोग पकड़ाते गए. नीतीश ने कहा कि बीएसएससी प्रश्न पत्र लीक अखबारों में खबर आने की पुष्टि होने पर पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट और मुख्यसचिव की अनुशंसा पर उक्त परीक्षा को रद्द करने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि इस मामले की जब जांच हो रही थी इसको लेकर विपक्ष द्वारा बवाल मचाने की क्या जरूरत है.