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राहत व बचाव कार्यों में ही होगी तैनाती
एनडीआरएफ व एसडीआरएफ जवानों का मामला पटना : मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में नाव दुर्घटना के बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती पर नये सिरे से विचार किया जा रहा है. आमताैर पर प्रशासन की ओर से किसी भी भीड़ और पर्व-त्योहार में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती की […]
एनडीआरएफ व एसडीआरएफ जवानों का मामला
पटना : मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में नाव दुर्घटना के बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती पर नये सिरे से विचार किया जा रहा है. आमताैर पर प्रशासन की ओर से किसी भी भीड़ और पर्व-त्योहार में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती की मांग की जाने लगी है. ऐसे विशेषज्ञ जवानों की इस तरह की मांग और उपयोग के बाद अब इसकी तैनाती सिर्फ राहत और बचाव के लिए किये जाने पर विमर्श शुरू हो गया है. आपदा प्रबंधन से जुड़े एक विशेषज्ञ अधिकारी ने बताया कि सरस्वती पूजा के बाद मूर्ति के गंगा नदी में प्रवाहित करनेके लिए पटना समेत राज्य के कई जिलों से एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के जवानों की मांग की जा रही है.
जिलों से जितने जवानों की मांग की गयी है, उतना विभाग के पास जवान भी नहीं है. साथ ही बड़ी संख्या में ऐसे विशेषज्ञ जवानों को पूर्व में ही सुपौल, दरभंगा समेत कई अन्य जिलों में तैनात कर दिये गये हैं. ये जवान आपदा की स्थति से निबटने के बाद लोगों में आपदा से बचाव के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता का काम करते हैं. हाल ही में भूकंप और बाढ़ से बचाव के लिए मॉकड्रिल किया गया है. अधिकारी ने बताया कि जिलों की मांग के अनुसार पूरे राज्य से इन जवानों की तैनाती संभव भी नहीं है. अधिकारी ने बताया कि जल्द ही यह निर्णय लिया जायेगा कि इन जवानों की तैनाती सिर्फ आपदा से बचाव और राहत में किया जायेगा.
फिलहाल राज्य में आपदा के दौरान राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ के 1187 जवानों की 18 टीम है. वहीं राज्य सरकार की एसडीआरएफ के लगभग 600 जवानों की टीम काम कर रही है. ये दोनों बल के पास मोटर बोट, गोताखोर, भूकंप के दौरान मलवा में फंसे लोगों को बाहर निकालने से लेकर सड़क पर गिरे पेड़ को काटने व न्यूक्लियर खतरा से निबटने की क्षमता है. दोनों बल राज्य में गांव के स्तर पर लोगों को आपदा से बचाव के लिए जागरूकता का कार्यक्रम भी चलाती रहती है.
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