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केंद्रीय बजट 2017 : बिहार के लोगों को बजट से लगी बड़ी आस, यह है उनके सपने

एक फरवरी को केंद्रीय आम बजट पेश होगा, जो पिछले आम बजट से बिल्कुल अलग होगा. क्योंकि, इस बार रेल बजट और आम बजट साथ-साथ पेश होगा. नये बजट को लेकर आम लोगों के साथ-साथ उद्योग जगत, चिकित्सा जगत, महिला संगठन, पटना नगर निगम, वित्तीय क्षेत्र से जुड़े लोगों को विशेष अपेक्षाएं हैं. बुधवार को […]

एक फरवरी को केंद्रीय आम बजट पेश होगा, जो पिछले आम बजट से बिल्कुल अलग होगा. क्योंकि, इस बार रेल बजट और आम बजट साथ-साथ पेश होगा. नये बजट को लेकर आम लोगों के साथ-साथ उद्योग जगत, चिकित्सा जगत, महिला संगठन, पटना नगर निगम, वित्तीय क्षेत्र से जुड़े लोगों को विशेष अपेक्षाएं हैं. बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली अाम बजट पेश करेंगे. बजट को लेकर पटना के अलग-अलग क्षेत्रों के जानकारों की आशाओं और उम्मीदों पर प्रभात खबर की एक रिपोर्ट.
उद्याेग. सब को विशेष पैकेज मिलने की आशा
केंद्र सरकार वर्ष 2017-18 के बजट में बिहार के आर्थिक व औद्योगिक रूप से पिछड़ेपन
को देखते हुए राज्य को विशेष दर्जा देने पर जरूर विचार करेगी और यदि ऐसा संभव नहीं होगा, तो विशेष दर्जे की भांति प्राप्त लाभ का विशेष पैकेज राज्य को देगी. उम्मीद है कि बजट में आयकर की छूट सीमा को पांच लाख तक बढ़ाया जायेगा. आम बजट में राज्य की लंबित रेल परियोजनाओं के बारे में उम्मीद है कि इस बार केंद्र सरकार इसके लिए जरूर विशेष प्रावधान करेगी.
आम बजट से खास कर उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं. संघ ने वित्त मंत्री से मिल कर काॅरपोरेट टैक्स जिसमें शेष और सरचार्ज मिला कर 34% टैक्स लगता है, उसे घटा कर 25 % करने का अनुरोध किया है. उम्मीद है कि नये बजट में यह प्रस्ताव लागू हो जाये. क्योंकि, विकासशील देशों में यह टैक्स 25 से 30% है. जीएसटी में प्रावधान टैक्स का ऊपरी सलैब 20% से अधिक नहीं होना चाहिये. हाउसिंग सेक्टर के विकास के लिए सरकार जो छूट देती है, उसे 3.50 लाख करनी चाहिए.
इस बजट से बिहार के उद्योग को काफी अपेक्षाएं है. इनमें बिहार के विकास के लिए विशेष पैकेज मिले. ताकि, प्रदेश में नये उद्योग स्थापित हो सकें .इसके अलावे टैक्स सलैब को कम करने के साथ ही छूट लिमिट को बढ़ाना चाहिए. ताकि, नये उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए जमीन खरीदने के विशेष प्रोत्सहान की घोषणा देने की उम्मीद है. अगर ऐसा होता है, तो आनेवाले दिनों में बिहार में उद्यमियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी. जिससे सूबे का आर्थिक विकास होगा.
स्वास्थ्य. कुल बजट का पांच प्रतिशत हो स्वास्थ्य का बजट
बिहार का चिकित्सा जगत यह मांग करता है कि स्वास्थ्य का बजट कम-से-कम कुल बजट का पांच प्रतिशत जरूर हो. लोगों के जान की सुरक्षा करना सरकार का दायित्व है और इसके लिए बजट को बढ़ाना बहुत आवश्यक है. अभी 1.2 फीसदी ही स्वास्थ्य मद में रखा जाता है, जो इस देश के अनुसार काफी कम है. इसे बढ़ाया जाये.
हेल्थ इंश्योरेंस और दवाओं की कीमत में कमी काफी जरूरी है. अभी डायग्नाेस्टिक पर काफी खर्च होता है. इसे सरकारी अस्पतालों में मुफ्त कर देना चाहिए. उन्होंने राजनैतिक दलों के चंदे के दायरे को दो हजार रुपये लाने पर कानून बनाने की हिमायत करते हुए कहा कि अभी बीस हजार रुपये से नीचे के चंदे पर ब्याेरा नहीं देना होता है, जबकि 78 प्रतिशत यही रुपये होते हैं.
महिला. हैंड क्राफ्ट वस्तुएं सर्विस सेक्टर के दायरे से बाहर हों
बजट को लेकर कई उम्मीदें हैं. खास कर महिला उद्यमियों को लेकर, जो गांव-देहात में छोटे-छोटे स्तर पर हैंड क्राफ्ट की वस्तुएं तैयार कर रही हैं और उसे बेच रही हैं. लेकिन, कई बार बजट में दिये गये प्रावधानों से महिला उद्यमियों को परेशानी भी झेलनी पड़ती है. जिसका असर उनके स्वरोजगार पर भी पड़ता है. ऐसे में यदि सरकार बजट के दौरान हैंडक्राफ्ट की वस्तुओं को सर्विस सेक्टर के दायरे से बाहर रखती हैं, तो महिलाओं को रोजगार में बढ़ावा मिलेगा. सर्विस टैक्स के कारण महिला उद्यमी अपने उत्पादों को दूसरे राज्यों में बेच नहीं पाती हैं.
निगम. पिछड़े राज्यों के शहर को मिले स्पेशल पैकेज
स्मार्ट सिटी में पटना का भी चयन होना चाहिए, तो पांच सौ करोड़ रुपये मिलेंगे. इस राशि में शहर का क्या होगा, जहां सीवरेज-ड्रेनेज नेटवर्क व सप्लाई वाटर का नेटवर्क नहीं है. इन योजनाओं को पूरा करने के लिए चार हजार करोड़ से अधिक की जरूरत है. केंद्रीय बजट से उम्मीद है कि 74वें संशोधन के तहत मिले अधिकार के अनुरूप केंद्र सरकार फंड उपलब्ध कराये. साथ ही केंद्रीय बजट में पिछड़े राज्यों के उत्थान के लिए स्पेशल पैकेज का प्रावधान हो, तभी स्मार्ट सिटी का लाभ मिलेगा.
सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर योजनाएं बनाने से लेकर उसका संचालन भी कर रही हैं. लेकिन, बजट के अभाव में उन योजनाओं का सही से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में सरकार महिलाओं को हिंसा से निजात दिलाने के लिए अलग से बजट का प्रावधान करें. ताकि, सरकार की योजनाओं के अंतर्गत संचालित केंद्रों पर संसाधनों की कमी को दूर किया जा सकें. अलग से हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए एंबुलेंस सुविधा और पीड़िता की माॅनीटरिंग के लिए भी बजट में प्रावधान हो.
निवेश. 87-ए के तहत मिलनेवाली छूट और बढ़े
हर बार केंद्रीय आम बजट से लोगों को काफी अपेक्षाएं रहती है. टैक्स में छूट की सीमा पांच लाख तक की जानी चाहिए और पांच लाख से 15 लाख तक 20 फीसदी और से 15 लाख से ऊपर 30 फीसदी. बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए. खाद्य पदार्थों के दाम घटने चाहिए. इसके अलावे कृषि में प्रयुक्त होनेवाले उपकरणों के दाम में भी कमी की उम्मीद है.मकान किराया भत्ते के छूट में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. साथ ही 80सीसी के तहत निवेशकों को अतिरिक्त छूट मिलने की आशा है. अगर सरकार ऐसा करती है,तो देश में निवेशकों और निवेश राशि में बढ़ोतरी होगी. बैंक सेकैश निकालने पर कोई करकम किया जाता है, तो डिजिटल लेने-देन करनेवालों के लिएएक अलग से छूट का प्रावधान भी होना चाहिए.
इस बजट से आम आदमी को बहुत आशाएं है. नोटबंदी के बार हर व्यक्ति पर अप्रत्यक्ष कर का अधिक बोझ पड़ा है. निश्चित है कि जीएसटी के आने के बाद अप्रत्यक्ष कर के संग्रह में बढ़ोतरी होने की संभावनाएं है. यह वृद्धि सीधे तौर पर उपभोक्ताओं के जेब पर पड़ेगी. कर दरों को मध्यमवर्गीय और वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए बदलाव करना होगा. साथ ही 87-ए के तहत मिलनेवाले छूट को और बढ़ाना चाहिए.
बैंकिंग. कार्ड से लेन-देन पर लगनेवाला चार्ज समाप्त हो
सरकार अगर कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देना चाहती है, तो लेन-देन पर लगनेवाले चार्ज को समाप्त करना होगा. क्योंकि, अभी दुकानदार को हर लेन-देन पर 2 से 2.50 फीसदी कर बैंक काे चुकाना पड़ता है. साथ ही कैशलेस अधिक होने से बैंक कर्मचारियों को अपने कार्य निबटाने में समय मिलेगा. इससे बैंक में जो कर्मचारियों की कमी है. यह सहायता करेगा.
बिहार में संसाधन व इंफ्रास्ट्रक्चर की भी कमी है. इसे देखते हुए बिहार को विशेष पैकेज मिलना चाहिए. हाउसिंग सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा है. अत: तेजी लाने के लिए बैंक ऋण सस्ता किया जाना चाहिए. साथ ही रेरा के नियमों पर सरकार को फिर से विचार करना चाहिए. वहीं, रेल बजट में बिहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए. ताकि, लंबित पड़े रेल परियोजना समय पर शुरू हो.
जंकशन पर सुविधाएं बढ़ाने पर हो जोर
पटना जंकशन से हर रोज 150 से अधिक एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनें गुजरती हैं और एक लाख से अधिक यात्री सफर करते हैं. यहां से रेलवे काे औसतन प्रतिदिन 50 लाख रुपये का राजस्व मिलता है. वहीं, पाटलिपुत्र जंकशन से 18 जोड़ी एक्सप्रेस, इंटरसिटी व पैसेंजर ट्रेनें गुजरती हैं.इससे रोजाना पांच-छह हजार यात्री आते-जाते हैं और करीब चार लाख रुपये का राजस्व मिलता है. इसके बावजूद इन दोनों जंकशनों पर यात्री सुविधाओं की कमी है. एक फरवरी को आम बजट आनेवाला है. इस बार अलग से रेल बजट नहीं आयेगा. ऐसे में रेल यात्रियों को आम बजट से काफी उम्मीदें हैं, ताकि जंकशन की कमियों को दूर किया जा सके. इन दोनों जंकशनों का हाल और रेल यात्रियों की उम्मीद पर एक रिपोर्ट.
पाटलिपुत्र जंकशन
शेड से नहीं ढंका है पूरा प्लेटफॉर्म : पूरा प्लेटफॉर्म शेड से ढंका नहीं है, जिससे बारिश में यात्रियों को काफी परेशानी होती है. स्थिति यह है कि तीनों प्लेटफॉर्म पर शेड लगे हैं, जहां तीन से चार कोच ही लग सकते हैं.नहीं लगा है कोच इंडिकेटर : जंकशन के किसी प्लेटफॉर्म पर कोच इंडिकेटर की व्यवस्था अब तक नहीं है. इससे यात्रियों को कोच की जानकारी ट्रेन के खड़े होने के बाद ही मिलती है.
पटना जंकशन
जर्जर हैं नल
जंकशन पर 10 प्लेटफॉर्म है. इन पर पीने के पानी के लिए कई जगहों पर नल लगाया गया है. लेकिन, इन नलों की कभी साफ-सफाई नहीं होती है. ऐसे में लोग बंद पानी खरीदने को मजबूर होते हैं.
आधी-अधूरी है सफाई व्यवस्था
प्लेटफॉर्म एक व दस पर दिन भर सफाई होती रहती है. लेकिन, प्लेटफॉर्म संख्या चार-पांच, छह-सात और आठ-नौ पर खानापूर्ति की जाती है. रेलवे ट्रैक पर भी यहां-वहां गंदगी रहती है.
नहीं बन सका है वाशिंग पिट : जंकशन से खुलनेवाली ट्रेनें जब आती है, तो मेंटेनेंस के बाद खुलती है. लेकिन, जंकशन पर वाशिंग पिट नहीं होने की वजह से ट्रेनों को मेंटेनेंस के लिए दानापुर भेजा जाता है. ऐसे में अमूमन संघमित्रा एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से आधा व 45 मिनट विलंब से खुलती है.
प्रिंट दर पर नहीं मिलता सामान
जंकशन पर फूड स्टॉल पर यात्रियों को प्रिंट दर पर खाने का सामान नहीं मिलता है. इसकी वजह है कि रेलवे प्रशासन की ओर से सख्त निगरानी नहीं की जाती है और फूड स्टॉल संचालक मनमाफिक दो से पांच रुपये तक अधिक वसूल करते हैं.
स्टेशन से कनेक्टिविटी का अभाव: पाटलिपुत्र जंकशन पर उतरनेवाले यात्रियों को गांधी मैदान या राजेंद्र नगर जाना है, तो सीधे ऑटो या सिटी बस की सुविधा नहीं है. यही स्थिति यहां पहुंचने की है.
प्लेटफॉर्म बना रहता है गोदाम
जंकशन पर कई ट्रेनों से पार्सल के समान उतरते हैं. लेकिन इन पार्सल के समानों को रखने के लिए गोदाम नहीं बनाये गये हैं. दिन-रात प्लेटफॉर्म एक पर पार्सल के समान पड़े रहते हैं.
नहीं लग सकी लिफ्ट
प्लेटफॉर्म संख्या एक को छोड़ दें, तो दिव्यांगों के लिए अन्य प्लेटफॉर्म पर अलग से शौचालय नहीं है. यहां इनके लिए लिफ्ट की भी व्यवस्था नहीं है. बैटरी संचालित कार शो बन कर खड़ी रहती है.
डिस्प्ले बोर्ड ठीक नहीं
नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम के तहत लगे डिस्प्ले बोर्ड पर प्लेटफॉर्म संख्या शून्य दिखता है, जिससे यात्री शून्य प्लेटफॉर्म खोजने के लिए भटकते हैं. यह समस्या महीनों से है.
वेटिंग हॉल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं
पाटलिपुत्र जंकशन पर स्लीपर क्लास के वेटिंग हॉल है, जिसकी क्षमता एक साथ 40-50 यात्रियों के बैठने की है. लेकिन, शाम में वेटिंग हॉल में यात्रियों को बैठने की जगह नहीं मिलती है.
पार्किंग में जलजमाव
मॉनसून में मुख्यद्वार पर हनुमान मंदिर की बगलवाली पार्किंग में जलजमाव की समस्या बन जाती है. यह समस्या पूरे मॉनसून के दौरान जारी रहता है और मोटरसाइिकल पार्क करनेवाले लोग परेशान होते हैं.
बोले यात्री
प्लेटफॉर्म पर वेटिंग हॉल काफी छोटा है, जहां यात्रियों को बैठने के लिए जगह नहीं मिलता है. पीने के पानी को लेकर भी सामान्य सप्लाई पानी है. जबकि, आइआरसीटीसी के आरओ या फिर प्यूरिफाॅयर पानी की सप्लाई होना चाहिए.
रमेश कुमार वर्मा, यात्री
पूरा प्लेटफॉर्म ढका नहीं है. अभी तो अच्छा लग रहा है. लेकिन, गरमी के दिनों में या बारिश के समय ट्रेन पकड़ने में काफी दिक्कत होती है. साथ ही शाम के समय जंकशन आने में दिक्कत होती है. बेली रोड से पाटलिपुत्र जंकशन आने तक सभी लाइटें नहीं चल रही है और ऑटो मिलने में दिक्कत है.
रामेश्वर प्रसाद, यात्री
पाटलिपुत्र जंकशन पर तीन प्लेटफॉर्म है. लेकिन, शौचायल की व्यवस्था सिर्फ एक नंबर प्लेटफॉर्म पर की गयी है. प्लेटफॉर्म दो-तीन पर भी महिलाओं के लिए शौचायल की व्यवस्था होनी चाहिए. प्लेटफॉर्म शेड से ढका नहीं है. टिकट काउंटरों की संख्या भी बढ़े.
शोएब कुरैशी, सचिव, बिहार राज्य दैनिक यात्री संघ

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