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जाममुक्त पटना सिटी गुरु गोबिंद सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि

सुरेंद्र किशोर राजनीतिक विश्लेषक जाब कांग्रेस से लेकर अकाली दल तक के शीर्ष नेताओं ने प्रकाशोत्सव की शानदार व्यवस्था के लिए बिहार सरकार खास कर नीतीश कुमार की सराहना की है. नेताओं में प्रकाश सिंह बादल से लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह तक शामिल हैं. पंजाब के एक नेता ने तो यहां तक कहा कि पंजाब […]

सुरेंद्र किशोर
राजनीतिक विश्लेषक
जाब कांग्रेस से लेकर अकाली दल तक के शीर्ष नेताओं ने प्रकाशोत्सव की शानदार व्यवस्था के लिए बिहार सरकार खास कर नीतीश कुमार की सराहना की है. नेताओं में प्रकाश सिंह बादल से लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह तक शामिल हैं. पंजाब के एक नेता ने तो यहां तक कहा कि पंजाब में भी ऐसा बढ़िया इंतजाम नहीं हो सकता था. पर, ऐसा इंतजाम क्यों और कैसे संभव हो पाया? मुख्यमंत्री और राज्य शासन की दृढ़ इच्छा शक्ति से ही ऐसा हुआ.
यानी यदि यह इच्छाशिक्त आगे भी कायम रहे तो इस तरह के अन्य सराहनीय काम भी संभव हैं. खासकर असंभव दिखनेवाले काम भी संभव हो सकते हैं. पटना सिटी को जाममुक्त बनाना भी एक असंभव सा दिखने वाला काम माना जाता रहा. इच्छाशिक्त का इस्तेमाल करते हुए राज्य सरकार जो अगला काम कर सकती है, वह है पटना सिटी को भविष्य में भी अतिक्रमण मुक्त बनाये रखने का काम. पटना सिटी का श्री हरिमंदिर जी विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तख्त है. जाममुक्त पटना सिटी गुरु गोविंद सिंह को बड़ी श्रद्धांजलि होगी.
वैसे तो इन दिनों जाम की समस्या से पटना सहित लगभग पूरे देश के नगर-महानगर परेशान हैं. इस समस्या पर सर्जिकल स्ट्राइक तो कभी न कभी करना ही पड़ेगा. जाममुक्ति का यह काम गुरु गोबिंद सिंह की जन्मस्थली से शुरू हो सकता है. यदि यहां अतिक्रमणमुक्त हुआ तो वह अन्य नगरों के लिए आदर्श होगा. कम से कम सांस्कृतिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व के नगरों के लिए. इससे बिहार सरकार व उसके नेता का नाम पूरी दुनिया में और भी अधिक रोशन होगा.
अतिक्रमण हटाना कितना कठिन : पटना सिटी की सड़कों का अतिक्रमण अभी तो हटा हुआ है.बस इसे कायम रखने की जरूरत है. आखिर इसे कायम कैसे रखा जाये? अतिक्रमण के पीछे का सबसे बड़ा कारण अफसरों की घूसखोरी है. एक मुख्यमंत्री ने अपने अनुभवों के आधार पर एक बार कहा था कि थानेदारों को घूसखोरी से रोकना असंभव सा काम है. आम लोगों की धारणा भी यही है. पर इसके कुछ अपवाद को भी मैं जानता हूं. मेरे एक परिचित थानेदार के बारे में मैंने सुना है कि उसने अपने लिए कभी कोई रिश्वत नहीं ली. अब रिटायर हो गया. हां, कभी-कभी अपेक्षाकृत अधिक ईमानदार थानेदारों को भी थाने का रूटीन खर्च चलाने और ऊपर पहुंचाने के लिए न चाहते हुए भी रिश्वत लेनी ही पड़ती है. यानी कुछ ऐसे पुलिस अफसरों की तलाश बिहार सरकार कर सकती है, जो आदतन घूसखोर नहीं हैं.
उन्हें पटना सिटी के थानों में तैनात किया जाये. उन थानों को पेट्रोलिंग व अन्य रूटीन खर्च के लिए भरपूर पैसे सरकार दे, ताकि उन्हें कोई बहाना न मिले. फिर थानेदार तथा अन्य पुलिस अफसर स्थानीय प्रशासन व अन्य प्रभावशाली लोगों से मिल कर अतिक्रमण नहीं होने दें. अतिक्रमण का मानवीय व सामाजिक पहलू भी है. पटना सिटी में मेरे कुछ मित्र हैं जिनके घर जाने की मेरी बड़ी इच्छा होती है. पर जाम में फंसने के भय से अब नहीं जा पाता. कई लोग जिनकी रिश्तेदारी पटना सिटी में है, वे रिश्तेदारों से मिलने के लिए तरस जाते हैं.
गुरु के प्रेमी बिहार में करें निवेश : गुरु गोविंद सिंह की पवित्र नगरी की सड़कों पर अतिक्रमण करने वाले आखिर लोग कौन हैं? ये लोग मूलत: बेसहारा व बेरोजगार लोग हैं. कहीं कोई काम नहीं मिला तो टोकरियां, ठेले और खोमचे लेकर कुछ बेचने के लिए मुख्य सड़कों पर जम गये.
उन्हीं खोमचों से उनके परिवार की रोटी निकलती है. उनमें कुछ कुशल मजदूर भी हो सकते हैं. इस बार देश विदेश के ऐसे अनेक सिख उद्यमी यहां आये जो गुरु की इस नगरी को साफ-सुथरा और सुगम देखना चाहते हैं. उन्हें चाहिए कि वे यहां उद्योग व्यापार शुरू करें. कानून-व्यवस्था के मामले में अब बिहार की स्थिति नब्बे के दशक वाली नहीं है. बाहर के सिख समुदाय के लोग यहां उद्योग-व्यापार शुरू करके उनमें उन कुछ लोगों को भी काम दे सकते हैं, जो अभी अनधिकृत रूप से सड़कों पर बाजार सजा रहे हैं. इससे जाम की समस्या कम होगी.
अब सवा सौ करोड़ ही नहीं हैं देशवासी! : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में अक्सर सवा करोड़ भारत वासियों की चर्चा करते हैं. कई वर्षों से प्रधानमंत्री एक ही आंकड़ा बता रहे हैं.
इस बीच इस देश की जनसंख्या करीब दो करोड़ हर साल की दर से बढ़ रही है. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या एक अरब 21 करोड़ थी. इससे पहले 2001 में यह संख्या एक अरब 2 करोड़ बतायी गयी थी. बढ़ोतरी की इस दर के अनुसार इस देश की आज की आबादी करीब एक अरब 30 करोड़ है. फिर प्रधानमंत्री आज भी सवा सौ करोड़ ही क्यों कह रहे हैं.
व्हाट्स एप पर यूरोलॉजिस्ट डाॅ अजय कुमार की चिंता : लोग ऐसे तेल में तले समोसे खाते हैं जिस तेल का पहले भी कई बार इस्तेमाल हो चुका होता है. गंदे पानी से भरी पानी-पूरी का मजे से स्वाद लेते हैं. रासायनिक कीटनाशक से लदे फल और सब्जियां खाते हैं.
कोक और पेप्सी नामक काले द्रव पर पैसे खर्च करते हैं. इस तरह तम्बाकू चबाते हैं, धूम्रपान और शराब सेवन करते हैं मानो अब कल आने वाला नहीं है. यह सब एक बार भी सोचे बिना करते हैं. पर जब मैं दवा लिखता हूं तो वे पूरी गंभीरता से पूछते हैं कि ‘डाॅक्टर, उम्मीद है कि इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.’
पश्चिम बंगाल में अत्यंत गंभीर स्थिति : पश्चिम बंगाल में आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को लेकर स्थिति काफी गंभीर बनती जा रही है.सरकारी, गैर सरकारी, अखबारी व निजी सूत्रों से मिल रही खबरों के अनुसार यदि यही सब जारी रहा तो देश के एक और राज्य में केंद्र सरकार को कश्मीर और मणिपुर जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. दुर्भाग्यपूर्ण, चिंताजनक और शर्मनाक स्थिति यह है कि वोट बैंक की खातिर कुछ राजनीतिक शक्तियां राष्ट्रविरोधी तत्वों का खुलेआम बचाव कर रही हैं. एक हद तक संरक्षण भी. राजनीतिक टकराव की स्थिति भी है.
वाम मोरचा सरकार के कार्यकाल में ही एक बड़े सत्ताधारी वाम नेता का यह बयान छपा था कि पश्चिम बंगाल के सात सीमावर्ती जिलों में बंगाल पुलिस की सत्ता नहीं चल रही है. क्योंकि, वहां एक खास तरह के कानूनतोड़क तत्व हावी हैं. पर पता नहीं, क्यों उस नेता ने अपने उस बयान का बाद में खंडन कर दिया था. पता चला कि खंडन करना पड़ा. शायद उन शक्तियों के दबाव में. क्या वे शक्तियां अब मौजूदा सत्ताधीशों के साथ हैं?
…और अंत में : दीघा-पहलेजा सड़क पुलका निर्माण कार्य इसी मार्च में पूरा होने वाला था. ऐसा वादा शासन ने जनता से किया था. अब अधिकारी कह रहे हैं कि जून में यह मार्ग चालू होगा.
इस अवसर पर एक बात याद दिलाने की इच्छा हो रही है. 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने सोनपुर में आयोजित समारोह में दीघा-पहलेजा पुल के सर्वेक्षण कार्य का शिलान्यास किया था. ‘सर्वेक्षण कार्य का शिलान्यास’ पहली बार मैंने सुना था. यानी तब हमारे हुक्मरानों को जल्द कार्य शुरू करा देने की बेचैनी थी. पर सड़क मार्ग की प्रतीक्षा कर रही जनता के लिए वह बेचैनी बीस साल बाद भी समाप्त नहीं हुई. जबकि, भगवान राम का वनवास 14 साल में ही पूरा हो गया था.

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