पटना: जब नगर आयुक्त अपने ही विभाग में सूचना पाने के लिए भटक रहे हों, तो आम आदमी को सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत जानकारी लेने में कितनी परेशानी होती होगी, इसे आसानी से समझा जा सकता है.
ताजा उदाहरण नगर निगम के नगर आयुक्त कुलदीप नारायण से जुड़ा है. नगर आयुक्त ने 18 जनवरी को नगर आवास विकास विभाग के लोक सूचना पदाधिकारी से आरटीआइ के तहत जो जानकारी मांगी थी, वह 30 दिन बाद भी नहीं मिल सकी. इसके लिए विभाग के लोक सूचना पदाधिकारी ललित मोहन सिंह ने पिछले 30 दिनों में दो बार प्रशाखा पदाधिकारी सह सहायक, लोक सूचना पदाधिकारी प्रशाखा-एक को याद भी दिलायी. पर कुछ नहीं हुआ. अब नगर आयुक्त ने 18 फरवरी को प्रथम अपील में आवेदन किया है और विभागीय सचिव को पत्र लिख कर शिकायत की है.
क्या है मामला
स्थायी समिति और निगम बोर्ड ने निगम की पैनल अधिवक्ता एचएस हिमकर को हटाने का प्रस्ताव पारित है, लेकिन पैनल में हिमकर अब भी कार्यरत हैं. नगर आयुक्त ने हिमकर के बकाया मानदेय भुगतान के लिए विभागीय सचिव से 2 , 13 व 22 नवंबर 2013 को मार्गदर्शन मांगा. इस पर 10 जनवरी को अवर सचिव, नगर आवास विकास विभाग के पत्र संख्या 72 नगर आयुक्त को प्राप्त हुआ. इसमें कहा गया कि हटाने का प्रस्ताव पारित है, तो नगर आयुक्त अपने वेतन से हिमकर का भुगतान करें. नगर आयुक्त को यह पत्र फर्जी लगा. पत्र की सच्चई जानने के लिए उन्होंने आरटीआइ के तहत जानकारी की मांग की. उनका आरोप है कि पत्र फर्जी होने के कारण ही विभाग सूचना नहीं दे रहा है. यही कारण है कि नगर आयुक्त को प्रथम अपील में जाना पड़ा.