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ED की रडार पर निजी और सरकारी बैंक, 5 स्थानों पर 12 बैंकों की जांच से हड़कंप

पटना : प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की विशेष टीम ने राज्य के पांच अलग-अलग स्थानों पर करीब एक दर्जन बैंक शाखाओं में सर्च किया. जांच का यह सिलसिला पिछले दो दिनों से चल रहा है. इसमें निजी बैंकों की शाखाओं की संख्या ज्यादा है. इसी क्रम में दानापुर स्थित एक्सिस बैंक की शाखा में भी इडी […]

पटना : प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की विशेष टीम ने राज्य के पांच अलग-अलग स्थानों पर करीब एक दर्जन बैंक शाखाओं में सर्च किया. जांच का यह सिलसिला पिछले दो दिनों से चल रहा है. इसमें निजी बैंकों की शाखाओं की संख्या ज्यादा है. इसी क्रम में दानापुर स्थित एक्सिस बैंक की शाखा में भी इडी की टीम पहुंची और सर्च किया. इस दौरान कितने की गड़बड़ी मिली है, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल रही है. इसके अलावा पटना, भागलपुर, समस्तीपुर, गया, सीतामढ़ी समेत अन्य स्थानों पर संदिग्ध बैंक शाखाओं में घंटों सर्च करने की सूचना है. इस दौरान गड़बड़ी मिली है, लेकिन कितने की गड़बड़ी है, अभी जांच चल रही है.
इससे पहले एग्जीबिशन रोड स्थित कोटक महिंद्रा बैंक में भी सर्च किया गया था. उधर, कोटक महिंद्रा के अधिकारी रोहित राव ने कहा कि उनके यहां छापे जैसी बात नहीं हुई है. बैंक से प्रवर्तन निदेशालय ने जो जानकारी मांगी है, उपलब्ध करा दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट को अपने यहां के संदिग्ध खातों में हुए लेनदेन की जानकारी दी थी. इसके आधार पर इडी की टीम जांच करने के लिए आयी हुई थी.
इओयू और इडी की बैठक
संदिग्ध बैंक शाखाओं की छानबीन का सिलसिला तेज हो गया है. आयकर विभाग के अलावा इडी भी इस काम में जुट गया है. राज्य के आर्थिक अपराध इकाई के आइजी जितेन्द्र सिंह गंगवार ने इडी की टीम के साथ सोमवार को एक विशेष बैठक की. इसमें नोटबंदी के बाद राज्य में बैंकों की तेजी से सामने आ रही गड़बड़ी पर गहन चर्चा की गयी. हाल में गया के मानपुर स्थिति बैंक ऑफ इंडिया में बेनामी बैंक खातों का उपयोग करके ब्लैक मनी को व्हाइट करने का बड़ा खेल किया गया था. इसके अलावा पिछले दो-तीन दिनों में राज्य में अलग-अलग स्थानों पर स्थित बैंक शाखाओं की जांच के संबंध में जानकारी ली कि कितने की गड़बड़ी सामने आयी है.
निजी बैंकों में सामने आ रही गड़बड़ी
पिछले दो-तीन दिनों की जांच में यह बात सामने आयी है कि निजी बैंक वाले एटीएम में डालने वाले पैसे में बड़े स्तर पर गड़बड़ी करते हैं और इसमें हेरफेर करके ब्लैक को व्हाइट बनाते हैं. इसको ऐसे समझ सकते हैं, किसी बैंक शाखा ने अपने खाते में यह दिखा दिया कि उसने अपने अधीनस्थ एटीएम में दो दिनों में तीन करोड़ रुपये डाले हैं, जिसे लोगों ने निकाल लिया.
परंतु हकीकत में एटीएम में एक करोड़ या इससे कम ही डाले जाते हैं, जिससे एटीएम सिर्फ जीवित रहे और इसके नाम पर निकाले गये शेष रुपये को अवैध तरीके से बंद हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों के साथ बदल दिया जाता है. इसके लिए कई बार जन-धन योजना के बैंक खातों का भी प्रयोग ट्रांजेक्शन करने के लिए किया जाता है या सीधे इसे बैक-डेट में एक्सजेंज के रूप में दिखा दिया जाता है. इस तरह ब्लैक को व्हाइट करने की जुगत की जाती है.

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