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बिहार में भी तेजी से फैल रहा पीएफआइ का जाल
चिंताजनक. आइबी की खुफिया रिपोर्ट में हुआ खुलासा पटना में पाकिस्तानी झंडा फहराने व जिंदाबाद का नारा लगाने वालों का ताल्लुक पीएफआइ से है. राज्य में स्लिपर सेल जैसे मॉड्यूल तैयार करने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. पटना : बिहार में 8-10 साल पहले इंडियन मुजाहिद्दीन के कई स्लीपर सेल […]
चिंताजनक. आइबी की खुफिया रिपोर्ट में हुआ खुलासा
पटना में पाकिस्तानी झंडा फहराने व जिंदाबाद का नारा लगाने वालों का ताल्लुक पीएफआइ से है. राज्य में स्लिपर सेल जैसे मॉड्यूल तैयार करने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.
पटना : बिहार में 8-10 साल पहले इंडियन मुजाहिद्दीन के कई स्लीपर सेल और इन्हें तैयार करने वाला मुख्य मॉड्यूल की गिरफ्तारी हुई थी. अब यहां फिर से पीएफआइ (पीपुल्स फ्रॉन्ट ऑफ इंडिया) की गतिविधि बढ़ने लगी है.
कटिहार, मधुबनी, किशनगंज, दरभंगा, अररिया जिले में इसकी गतिविधियों की आइबी ने सरकार को सूचना दी है. हालांकि अभी तक इसने किसी वारदात को अंजाम नहीं दिया है. परंतु आने वाले दिनों में अगर इसकी गतिविधि काफी बढ़ गयी, तो किसी न किसी वारदात को भी अंजाम दे सकता है. इस बात का विशेष तौर से जिक्र आइबी की खुफिया रिपोर्ट में किया गया है. इस रिपोर्ट में बिहार के अलावा पड़ोसी राज्य यूपी में पीएफआइ की गतिविधि तेजी से बढ़ने की आशंका जतायी गयी है.
आइबी ने इससे संबंधित जानकारी पुलिस महकमे को भी भेजी है. हैदराबाद और महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में भी इस आतंकी संगठन की गतिविधियों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है. पीएफआइ की तरफ से राज्य में स्लिपर सेल जैसे मॉड्यूल तैयार करने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि अभी तक की जांच में इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं.
परंतु गतिविधि बढ़ने के संकेत के हिसाब से केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी इस मुद्दे पर गहन जांच की जरूरत समझ रही हैं. गहराई से जांच या छानबीन करने के बाद इस तरह का कोई माड्यूल भी सामने आ सकता है. इससे पहले बिहार में इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) के कई स्लीपर सेल को एनआइए और आइबी की संयुक्त टीम ने 2006, 2008 और 2009 में पकड़ा था. इसमें सीतामढ़ी से सोनू, दरभंगा से सलाउद्दी, मधुबनी से यासिन भटकल, अमीर रजा खान प्रमुख हैं. इसमें सबसे आइएम का स्लीपर सेल तैयार करने वाला मुख्य सरगना भटकल शामिल था. इसकी गिरफ्तारी के बाद अभी तक यह आशंका जतायी जा रही है कि इसके तैयार किये कुछ स्लीपर सेल अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं.
पीएफआइ के बारे में : पीएफआइ की उत्पत्ति 2006 में केरल में हुई है. केंद्र सरकार ने जब आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से सिम्मी, इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे अन्य संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया, तो यह समझा जा रहा है कि इन प्रतिबंधित संगठनों के कई लीडरों ने मिलकर पीएफआइ का गठन किया है. केरल में कई बार छापेमारी के दौरान इस संगठन के कई ठिकानों से भारी मात्रा में गोला-बारूद, आधुनिक हथियार समेत अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद करचुकी है. इसके बाद से यह संगठन सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर लगातार बना हुआ है.
राज्य के इन जिलों में पायी गयी गतिविधि
फिलहाल उत्तर बिहार के कटिहार, मधुबनी, किशनगंज, दरभंगा, अररिया समेत अन्य जिलों में पीएफआइ की गतिविधि देखी गयी है. कुछ दिनों पहले पटना में पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगे थे और वहां का झंडा भी लहराया गया था. इस कार्य को अंजाम देने वालों की पहचान केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने कर ली है. जांच में यह बात सामने आयी है कि इनका ताल्लुक भी पीएफआइ से है.
जबकि बिहारशरीफ में जो झंडा फहराया गया था, वह पाकिस्तानी नहीं बल्कि इस्लामिक झंडा था. पाकिस्तानी और इस्लाम के झंडे में बस थोड़ा का अंतर होने की वजह से इन्हें पहचानने में मुश्किल हो जाती है. पाकिस्तान के झंडे में बाई तरफ सफेद रंग की चौड़ी पट्टी होती है, वहीं इस्लामिक झंडे में यह पट्टी नहीं होती. शेष रंग और चांद-तारा का चिन्ह एक समान ही होता है.
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