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सिर छिपाने की जगह नहीं, कैसे हो पढ़ाई

बिहटा: कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की पढ़ाई एक ही कमरे में, उसी कमरे में स्कूल का दफ्तर, मिड-डे मील का किचेन व स्टोर रूम भी है. यह हाल बिहटा चौक से महज आधा किलोमीटर दूर श्रीरामपुर प्राथमिक विद्यालय का है. सच है अगर देश के युवा चाह लें, तो संसाधनों का चाहे […]

बिहटा: कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की पढ़ाई एक ही कमरे में, उसी कमरे में स्कूल का दफ्तर, मिड-डे मील का किचेन व स्टोर रूम भी है. यह हाल बिहटा चौक से महज आधा किलोमीटर दूर श्रीरामपुर प्राथमिक विद्यालय का है. सच है अगर देश के युवा चाह लें, तो संसाधनों का चाहे जितना भी अभाव क्यों न हो,लाखों बाधाएं आएं , पर अपनी मंजिल पा ही लेते हैं.

यह विचार दिमाग में स्वतः कौंध जाता है जब कोई राहगीर एक कमरे के जर्जर स्थिति वाले श्रीरामपुर विद्यालय के करीब 205 बच्चों को पूरे मनोयोग से शिक्षा ग्रहण करते देखता है, लेकिन अगर बारिश लगातार होती रही, तो पढ़ाई बाधित हो जाती है. एक कमरे में पढ़ने की बात छोड़ दें, खड़े होने तक कि जगह नहीं है.

सर्व शिक्षा अभियान की आर्थिक सहायता के बावजूद प्रखंड के 16 विद्यालयों को आज तक अपना भवन नहीं मिल सका है. भवन के लिए जमीन उपलब्ध कराने में प्रशासन विफल है. भवन के अभाव में छात्र खुले आसमान और पेड़ के नीचे सार्वजनिक स्थानों पर पढ़ाई करते हैं. भवन नहीं है, तो बेंच, खेल का सामान और मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है. प्रखंड के कई प्राथमिक विद्यालयों में , तो बच्चे मिड डे मील के लिए थाली भी घर से लेकर आते हैं.

प्रखंड के 113 में 16 प्राथमिक विद्यालयों का भवन नहीं : श्रीरामपुर टोला ,बिजली ऑफिस , गोकुलपुर, बिहटा झुग्गी- झोंपड़ी, नेउरी झुग्गी- झोंपड़ी,पतसा चरवाहा विद्यालय, झारहा,परेव चमरटोली,सादिसोपुर झुग्गी- झोंपड़ी,बालू पर, अमनाबाद, कमल टोला,लक्ष्मणपुर,,धनारेचक,चकमुन्जे,मूसेपुर,बिहटा उर्दू विद्यालय आदि के बच्चों की पढ़ाई कहीं मंदिर में, तो कहीं सामुदायिक भवन में होती है.

शिक्षक हैं परेशान : स्कूल का संचालन बहुत ही मुश्किल परिस्थितियों में हो रहा है. यहां पढ़ाने से लेकर ऑफिस तक का काम एक ही कमरे में करना पड़ता है. स्कूल के सामने गंदगी का भी अंबार लगा है. इसके बदबू से बैठना मुश्किल होता है. वहीं, पानी व शौचालय की भी उचित व्यवस्था नहीं है.

एक कमरे में 205 बच्चे

मेरे विद्यालय में 205 बच्चे हैं,लेकिन कमरा मात्र एक ही है, जिससे रूम में क्लास करना मुश्किल है. अगर दिन ठीक-ठाक रहा , तो बच्चों को बाहर बैठा कर पढ़ाई की जाती है. अगर बारिश हो गयी , तो पढ़ाई बाधित हो जाती है. मैंने कई बार अधिकारियों को इस बारे में सूचना दी, लेकिन स्थिति यथावत है. मैं 1987 से इसी विद्यालय में कार्यरत हूं, लेकिन आज तक स्थिति जस -की- तस है.

राघवेंद्र कुमार, प्राचार्य,श्रीरामपुर प्राथमिक विद्यालय

क्या कहना है बीइओ का

इस संबंध में विभाग के आला अधिकारियों को सूचित किया जा चुका है. भवन निर्माण के लिए राशि की कोई कमी नहीं है. पर्याप्त जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण विद्यालय नहीं बन सका है. जमीन उपलब्ध कराने के लिए न तो ग्रामीण सक्रिय हैं, न ही वरीय अधिकारी. वैसे हम अपने स्तर से जमीन उपलब्ध कराने में लगे हैं.

मो अमीर उल्लाह, बीइओ

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