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मुफ्त जांच के लिए मरीजों से वसूल रहे रुपये

पीएमसीएच का हाल. नियम ताक पर रख डोयन में पैथोलॉजी जांच के लिए पहुंच रहे मरीजों से ले रहे पैसे आनंद तिवारी, पटना पीएमसीएच में इन दिनों पैथोलॉजीजांच के नाम पर बड़ा खेल हो रहाहै. राज्य स्वास्थ्य समिति ने पीएमसीएच की सामान्य पैथोलॉजी से लेकरनिजी एजेंसी डोयन के माध्यम से करायी जाने वाली पैथोलॉजी जांचको […]

पीएमसीएच का हाल. नियम ताक पर रख डोयन में पैथोलॉजी जांच के लिए पहुंच रहे मरीजों से ले रहे पैसे
आनंद तिवारी, पटना
पीएमसीएच में इन दिनों पैथोलॉजीजांच के नाम पर बड़ा खेल हो रहाहै. राज्य स्वास्थ्य समिति ने पीएमसीएच की सामान्य पैथोलॉजी से लेकरनिजी एजेंसी डोयन के माध्यम से करायी जाने वाली पैथोलॉजी जांचको नि:शुल्क कर रखा है, लेकिनसके एवज में मरीजों से राशि कीवसूली की जा रही है. हर दिन औसतन 150 से 200 मरीजों की पैथोलॉजीजांच की जरूरत होती है. इनमें से लगभग पांच दर्जन से अधिक पैथोलॉजी जांच डोयन के माध्यम से होती है, जिनसे अलग-अलग पैथोलॉजी
जांच के नाम पर 150 से 550 रुपये तक वसूला जाता है. बड़ा सवालयह है कि अगर यह जांच नि:शुल्क है, तो इसका पैसा किसके खाते मेंजा रहा है?
हर दिन 24 हजार की कमाई
डोयन के माध्यम से हर दिन करीब 60 मरीजों को औसतन 400 रुपये की जांच लिखी जाती है. इस हिसाब से औसतन हर दिन जांच से 24 हजार रुपये की कमाई है. अगर पिछले डेढ़ महीने से डोयन की जांच फ्री है तो फिर कंपनी द्वारा वसूला गया करीब दस लाख रुपये से अधिक की राशि किसके खाते में गयी.
सरकारी जांच सुविधा भी ठप
पीएमसीएच की पूर्व से दी जा रही नि:शुल्क पैथोलॉजी जांच की सुविधा भी बिलकुल ठप है. बायोकेमेस्ट्री मशीन खराब होने से सीबीसी आरएफटी, ब्लड सहित कई जांच बंद हो गयी है. इसका फायदा भी डोयन डायग्नोसिस्ट सेंटर उठा रहा है. नि:शुल्क सुविधा के नाम पर मरीजों से मनमाना रुपया वसूला जा रहा है.
पीपीपी मोड से चलता था डोयन
अधिकारियों के मुताबिक पहले
डाेयन को राज्य स्वास्थ्य समिति के अंतर्गत पीपीपी मोड पर चलाया जा रहा था, लेकिन नितिगत फैसले के तहत राज्य सरकार ने उसकी मुफ्त सुविधा देने का निर्णय लिया. दूसरे मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में यह सुविधा लागू हो गयी है, लेकिन पीएमसीएच में यह व्यवस्था अब तक लागू नहीं हो सकी है.
जांच करायी जायेगी
पीएमसीएच के पैथोलॉजी जांच व डोयन दोनों में नि:शुल्क जांच करना है. डोयन में किये गये जांच के बदले अस्पताल प्रशासन भुगतान करता है. रही बात मरीजों से रुपये लेने की तो मैं पता लगाता हूं और अगर सही पाया तो इसके जिम्मेदार टेक्निशियन से पूछताछ की जायेगी.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक पीएमसीएच
जांच का पैसा अस्पताल प्रशासन को भुगतान करना है. डोयन से नि:शुल्क जांच सूबे के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में है. मरीजों के जांच का रुपया समिति मेडिकल कॉलेज अस्पताल को देती है.
जितेंद्र श्रीवास्तव, कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति
पटना. आइजीआइएमएस अस्पताल के चूहे इन दिनों मरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रहे हैं. चूहों ने अपना शिकार कैंसर की सेकाई में उपयोग होनेवाली कोबॉल्ट मशीन को बनाया है. नतीजन मशीन खराब हो गयी है और थेरेपी बंद करना पड़ी है. यह समस्या पिछले तीन दिनों से बनी है.
सेकाई नहीं होने से दो मरीजों की हालत गंभीर हो गयी है और वह अपनी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. दरअसल आइजीआइएमएस अस्पताल के रेडिएशन ऑनकोलॉजी विभाग में लगी कोबॉल्ट 780 मशीन खराब है. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि मशीन का वायर कंप्रेशर का तार चूहों ने काट दिया है.
तीन दिनों में नहीं बना एक वायर अस्पताल के अधिकारियों की मानें, ताे पिछले तीन दिनों से मशीन बंद पड़ी हुई है.मशीन की वायर कंप्रेशर का तार चूहों ने काट दिया है. यह मरीज को ट्रीटमेंट पोजिशन पर लाने का काम करता है. बावजूद इसके जिम्मेवार अधिकारी इसे ठीक कराने का प्रयास नहीं कर रहे है. सूत्रों की मानें, तो मशीन की खराबी के बारे में विभाग के एचओडी से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों को मालूम है. जिम्मेवार अधिकारियों की मानें, तो इसके लिए इंजीनियरिंग विभाग से संपर्क किया गया है. लेकिन, उनके पास समय नहीं होने के चलते यह समस्या और अधिक बढ़ गयी है.
लगते हैं चार हजार रुपये
कैंसर मरीजों की सुविधा के लिए आइजीआइएमएस के कैंसर विभाग में कोबॉल्ट मशीन लगायी गयी है. कोबॉल्ट से रेडिएशन थेरेपी करने पर हर मरीज को चार हजार रुपया जमा करना पड़ता है. यह एक महीने का पैकेज होता है. वहीं, मरीजों का कहना है कि रुपया जमा करने के बाद भी सुविधा के नाम पर मशीन बंद है और इसके ठीक कराने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. जबकि, मरीज शिकायत कर चुके हैं.
दो मरीजों की हालत गंभीर
इस मशीन से यहां रोजाना 80 से 100 मरीजों को सेकाई दी जाती है. लेकिन, खराब होने से उन्हें रेडिएशन थेरेपी नहीं दी जा रही. जिससे दो मरीजों की हालत गंभीर हो गयी है. इसमें मधुबनी के घनश्याम मंडल हैं, जिन्हें छाती का कैंसर है. वहीं, दूसरे छपरा के अकल गुप्ता हैं, जिन्हें मुंह का कैंसर है. इन मरीजों को थेरेपी की अधिक जरूरत है. तीन दिनों से नहीं मिलने के चलते इनकी तबीयत और बिगड़ गयी है.
अधिकारी बोले
वायर खराब होने के कारण यह समस्या आयी है. हमने इंजीनियर को बुलाया है. सोमवार को मशीन ठीक हो जायेगी. इसके बाद मरीजों को सही तरीके से रेडिएशन थेरेपी की सुविधा मिलनी शुरू हो जायेगी.
डॉ राजेश सिंह, एचओडी, कैंसर विभाग
बिना डॉक्टर चल रहे पीएमसीएच के कंट्रोल व ट्राॅयज रूम
पटना. पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की सुविधा के लिए बना कंट्रोल रूम और ट्राॅयज रूम इन दिनों सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है. डॉक्टरों की मौजूदगी नहीं होने के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
रविवार को ऐसा ही नजारा देखने को मिला. दरअसल फतुहा के रहने वाले सुनील सिंह अपने फूफा को लेकर पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड पहुंचे. सड़क दुर्घटना में घायल मरीज को लेकर जैसे ही इमरजेंसी वार्ड पहुंचे वहां के कंट्रोल रूम व ट्राॅयज रूम में बताने वाला कोई भी डॉक्टर नहीं मिला.
परेशानी बढ़ते देख मरीज दूसरे विभाग के सीनियर डॉक्टर से मिला, इसके बाद मरीज को जूनियर डॉक्टरों के पास भेजा गया तो इलाज किया गया. इस तरह की समस्या इमरजेंसी वार्ड में रोजाना हो रही है. यहां पूरे कंट्रोल रूम में सिर्फ तीन डॉक्टरों की ड्यूटी लगायी गयी है. डॉक्टरों की कमी के कारण इस तरह की परेशानी हो रही है. इमरजेंसी वार्ड के जिम्मेदार अधिकारी डॉक्टरों की कमी के बारे में लिखित में आवेदन दिया गया है बावजूद स्थिति उसी तरह से बनी हुई है.

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