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अतिरिक्त प्रभार से हांफ रहे पदाधिकारी, पेयजल, सफाई, विकास सब धराशायी
अनिकेत त्रिवेदी पटना : शहर की करीब 20 लाख आबादी को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी उठानेवाला पटना नगर निगम अतिरिक्त प्रभार के भरोसे चल रहा है. निगम के कई बड़े स्वीकृत पद लंबे अरसे से खाली पड़े हैं. स्थिति तब और बिगड़ गयी, जब बीते एक साल में आठ अधिकारियों को निगम से […]
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : शहर की करीब 20 लाख आबादी को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी उठानेवाला पटना नगर निगम अतिरिक्त प्रभार के भरोसे चल रहा है. निगम के कई बड़े स्वीकृत पद लंबे अरसे से खाली पड़े हैं.
स्थिति तब और बिगड़ गयी, जब बीते एक साल में आठ अधिकारियों को निगम से तबादला तो किया गया, लेकिन उनकी जगह पर नये पदाधिकारियों की तैनाती नहीं की गयी है. हालत यह है कि निगम अंचल में तैनात कार्यपालक पदाधिकारियों को दिये गये प्रभार के भरोसे चल रहा है. एक-एक अधिकारी को तीन से चार पदों का प्रभार दिया गया है.
कैसे पड़ रहा असर ?
इसका परिणाम यह है कि अंचल पदाधिकारी अपने नियमित काम को छोड़ कर कुछ देर के लिए निगम मुख्यालय आते हैं. बहुत अावश्यक हुआ, तो कुछ फाइलों को तेजी से निबटाया जाता है.
इसका परिणाम अब शहर के लोगों को सफाई में कमी, नली-गली के निर्माण में देरी, नागरिक सुविधाओं को पूरा करने में विलंब के रूप में झेलना पड़ रहा है. हालांकि, अब से पहले दो नगर आयुक्तों ने विभाग से लेकर सामान्य प्रशासन तक को अधिकारियों की कमी को लेकर लिखा है. नये नगर आयुक्त भी अपने पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही इस समस्या से विभाग को अवगत करा चुके हैं.
बरसात बाद चले जायेंगे कार्यपालक पदाधिकारी
समान्य प्रशासन विभाग ने बांकीपुर अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी अब्दुल हमीद का प्रोमोशन किया है. उन्होंने बताया कि अभी दो-तीन माह तक काम करेंगे, फिर पदोन्नति के साथ तबादला होगा, तो चले जायेंगे. वहीं, प्रभारी मुख्य अभियंता खगेश चंद्र विश्वास का भी प्रमोशन हो गया है और वह भी मूल विभाग में लौट जायेंगे.
सरकार तक इसकी जानकारी है, हम तो केवल उम्मीद ही करेंगे : मेयर
मेयर अफजल इमाम ने कहा कि ऐसा नहीं की निगम में अधिकारियों की कमी की जानकारी नगर विकास व आवास विभाग से साथ सरकार के जिम्मेवार लोगों को पता नहीं है. निगम मेें नये अधिकारियों की नियुक्ति हो हम तो इसकी उम्मीद ही करेंगे.
सीधा सवाल :
निगम में पदों की भारी कमी है, कैसे काम चलेगा?
हमने पदभार ग्रहण करने के बाद ही इसकी जानकारी विभाग को दी है. फिलहाल अधिकारियों के बीच ही पद बांट कर काम चलाया जा रहा है.
आपसे पहले भी नगर आयुक्तों ने विभाग को लिखा था, लेकिन हुआ कुछ नहीं ?
पद भरना तो सरकार की जिम्मेवारी है.
बरसात के समय जलजमाव होने पर अधिकारियों की कमी आड़े आयेगी?
हमने जिम्मेवार अधिकारियों की छुट्टी रद्द कर दी है. मैं खुद फील्ड में घूम कर समस्या को देख कर दूर करने का प्रयास कर रहा हूं.
फिर भी नयी योजनाएं व विकास के लक्ष्य तो प्रभावित होंगे?
हमलोग तो अपनी क्षमता से अधिक काम करेंगे.
अपर नगर आयुक्त (सफाई व योजना) : नगर निगम में अपर नगर आयुक्त के तीन पद हैं. लेकिन, कई वर्षों से एक पद पर ही अधिकारी तैनात रहे. सफाई व योजना के प्रभार में रहे शीर्षत कपिल अशोक को तब पद छोड़ना पड़ा, जब उन्होंने नगर आयुक्त का पद संभाला. तब से अब तक वह पद भी खाली है. इससे सफाई की निगरानी में कमी आयी है.
उप नगर आयुक्त : उप नगर आयुक्त के आठ पद हैं, लेकिन कई महीनों से एक ही पदाधिकारी मुमुक्षु चौधरी संभाल रहे थे. उन्हें छह और निगरानी, भंडार, विधि, इ-गवर्नेंस, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के नोडल पदाधिकारी का भी दायित्व था. इनका एक महीने पहले ट्रांसफर हो गया. अभी इन पदों को कार्यपालक पदाधिकारियों में बांट दिया गया है, ताकि पद खाली न रहे, लेकिन काम का भारी नुकसान हो रहा है.
राजस्व पदाधिकारी : यह पद विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रभार में है. अभी अपर नगर आयुक्त (स्थापना) अखिलेश्वर प्रसाद को इसका प्रभार है. इससे राजस्व वसूली व नये नीतिगत निर्णय लेने में देरी हो रही है.
विधि पदाधिकारी 2014 से ही यह पद खाली. अभी भू-संपदा पदाधिकारी आरती कुमारी के पास इसका प्रभार है. इसके चलते निगम को विधि संबंधी निर्णय लेने में परेशानी हो रही है. न्यू मार्केट व संतोषा अपार्टमेंट को लेकर हुए निर्णयों में इसका असर दिखा है.
निगरानी पदाधिकारी: यह पद विधानसभा चुनाव के पहले से खाली है. हरिशंकर कुशवाहा के जाने के बाद इस पर एक नियुक्ति हुई, पर शुरू में अधिकारी छुट्टी पर रहे व फिर ट्रांसफर हो गया. अभी सिटी अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी के पास इसका प्रभार है. इससे अवैध निर्माणों पर हथौड़ा नहीं चल रहा है.
अभियंत्रण शाखा : निगम में मुख्य अभियंता के दो पद हैं. दोनों पद खाली हैं. कार्यपालक अभियंता खगेश चंद्र विश्वास को मुख्य अभियंता का प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है, जिनका प्रमोशन के बाद इसी महीने तबादला संभावित है. मुख्य अभियंता के साथ ही कार्यपालक, सहायक व कनीय अभियंता के दर्जनों पद खाली हैं.
जल पर्षद : निगम के जल पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी का पद वर्षों से खाली है. अभी बांकीपुर इओ को इसका प्रभार दिया गया है. बांकीपुर इओ पहले से उप नगर आयुक्त, नगर सचिव का काम देख रहे हैं. अधिकारी नहीं होने से शहर में हर घर नल जल निश्चय योजना प्रभावित हो रही है. प्याऊ निर्माण भी लटका है.
फुलवारी से एम्स तक कंक्रीट का फोरलेन
पटना : एनएच- 98 (अनीसाबाद-औरंगाबाद) की तसवीर अगले साल मार्च तक बदल जायेगी. दो भागों में बन रही सड़क का एक हिस्सा (अरवल से औरंगाबाद तक) दिसंबर, 2016 में तैयार हो जायेगा, जबकि दूसरा हिस्से (अनीसाबाद से अरवल तक) का काम मार्च 2017 में पूरा होगा. अनीसाबाद से अरवल के बीच फुलवारीशरीफ से एम्स तक चार किमी सड़क कंक्रीट की बनेगी और यह फोरलेन होगी.
फुलवारीशरीफ से एम्स के बीच घनी बस्ती होने के कारण सड़क पर पानी अधिक जमा होने से अलकतरा वाली सड़क के टूटने का आशंका बनी रहेगी, इसलिए ढलाई की सड़क बनाने का फैसला लिया गया. शहर में ट्रैफिक दबाव के मद्देनजर केंद्र सरकार ने फोरलेन बनाने मंजूरी दी है. इसके बाद औरंगाबाद तक यह सड़क 10 मीटर चौड़ी है.
गुजरात की कंपनी को ठेका : अनीसाबाद से अरवल तक सड़क बनाने का काम गुजरात की कंपनी डीआरए को मिला है. सड़क बनाने के लिए 13वें किमी पर सेटअप तैयार किया गया है. फुलवारी से एम्स तक कंक्रीट की सड़क का काम शुरू करने की तैयारी कर कांट्रैक्टर ने कर ली है.
फुलवारीशरीफ से एम्स तक बालू लदे ट्रक को शहर होकर बाहर निकालने के लिए वैकल्पिक रास्ता चुना गया है. एम्स से पहले ही फुलवारीशरीफ आनेवाले ट्रकों को डायवर्ट कर बन रहे एलिवेटेट रोड की तरफ से निकाला जायेगा. इस संबंध में डीएम को सूचित किया गया है. सड़क खाली होने पर कांट्रैक्टर को काम करने में आसानी होगी.
दो पार्ट में बन रही सड़क : 154 लंबी इस सड़क का 98 किमी हिस्सा बन चुका है. अनीसाबाद से अरवल तक 62 किमी में से 25 किमी सड़क बन चुकी है. वहीं, अरवल से औरंगाबाद तक 92 किमी में 73 किमी सड़क तैयार है. अनीसाबाद से अरवल तक काम डीआरए एंड एसएनपी व अरवल से औरंगाबाद तक मोंटेक कारलो कंपनी कर रही है.
विश्व बैंक के सहयोग से बननेवाली इस सड़क पर लगभग 650 करोड़ खर्च अनुमानित है. पथ निर्माण विभाग के मॉनीटरिंग सेल के मुख्य अभियंता व प्रगति के प्रभारी मनोरंजन सिन्हा ने बताया कि जमीन अधिग्रहण की समस्या नहीं है. बिजली के खंभों से हो रही परेशानी को लेकर उसे शिफ्ट किया जा रहा है.
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