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अभी तक डॉक्टरों और शिक्षकों की बहाली नहीं
न्यूरोलॉजी. सभी अस्पताल हैं खस्ताहाल नौ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में महज चार डॉक्टर उपलब्ध पटना : राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर नहीं है. नौ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में महज चार डॉक्टर उपलब्ध हैं. खास यह है कि राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल पीएमसीएच में भी न्यूरोलॉजी के […]
न्यूरोलॉजी. सभी अस्पताल हैं खस्ताहाल
नौ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में महज चार डॉक्टर उपलब्ध
पटना : राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर नहीं है. नौ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में महज चार डॉक्टर उपलब्ध हैं. खास यह है कि राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल पीएमसीएच में भी न्यूरोलॉजी के डॉक्टर नहीं हैं. जबकि, अकेले पीएमसीएच में प्रतिदिन ओपीडी में न्यूरो विभाग से संबंधित डेढ़ से दो सौ मरीज पहुंचते हैं. सरकार ने तीन साल पहले ही सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में न्यूरोलॉजिस्ट की बहाली का निर्णय लिया था. लेकिन, नतीजा सिफर है. वर्तमान में एनएमसीएच में तीन और मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच में इस बीमारी से संबंधित एक डॉक्टर उपलब्ध हैं.
सभी अस्पतालों में वर्ष 2012-13 में सुपर स्पेशियलिटी विभागों की स्थापना की गयी. इसमें सरकार ने सभी पुराने छह मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में लकवा, मिरगी सहित अन्य बीमारियों के इलाज के लिए न्यूरोलॉजी विभाग की स्थापना की गयी. इसके लिए चिकित्सकों के पद भी स्वीकृत किये गये.
मरीजों के बेहतर इलाज का था उद्देश्य
द्देश्य यह था कि मरीजों का इलाज हो और इस को
र्स के माध्यम से मेडिकल के छात्रों को डॉक्टर आफ मेडिसिन (डीएम) के रूप में प्रशिक्षित भी किया जाये. स्थिति यह है कि अभी तक स्थापित किये गये न्यूरोलॉजी कोर्स में नामांकन तो दूर अभी तक शिक्षकों की बहाली तक नहीं हुई. राज्य सरकार ने तीन वर्ष पूर्व पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मुजफ्फरपुर, जवाहर लाल नेहरू कॉलेज अस्पताल भागलपुर और अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल, गया में स्वतंत्र रूप से विभाग के गठन की कार्रवाई की गयी.
पीएमसीएच में एक भी न्यूरोलॉजिस्ट नहीं
इन मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में शैक्षणिक कार्य आरंभ करने के लिए न्यूरोलाजी विभाग में एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और तीन असस्टिेंट प्रोफेसर के पद सृजित किये गये. पदों के सृजन के बाद से अभी तक किसी भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गयी है.
कहने के लिए एसकेएमसीएच,मुजफ्फरपुर में कंट्रेक्ट पर एक असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत है. पीएमसीएच में एक भी न्यूरोलाजिस्ट नहीं हैं. यहां पर न्यूरो सर्जरी के चिकित्सक ही मेडिसीन का काम करते हैं. जेएलएनएमसीएच में न्यूरोलॉजी विभाग शून्य है जबकि न्यूरो सर्जरी विभाग में एक स्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत हैं. यही स्थिति एएनएमसीएच,गया की है वहां पर कोई भी शिक्षक नहीं है. एनएमसीएच में तीन शिक्षक कार्यरत हैं. यह तस्वीर है जिसके कारण कभी विभाग का पूरी तरह से गठन नहीं हुआ. एमसीआइ से शैक्षणिक सत्र आरंभ करने के लिए डीएम न्यूरोलॉजिस्ट डिग्री वाले एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट और तीन असिस्टेंट प्रोफेसर कीजरूरत है.
हर कॉलेज बेहाल
किसी भी मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों की सीटें नहीं भरी जा सकी हैं. अभी तक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता के लिए प्रयास भी नहीं किया गया है. राज्य के सबसे पुराने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी न्यूरोलॉजी विभाग स्वतंत्र नहीं है. यह विभाग मेडिसिन विभाग के साथ ही जुड़ा है. उधर राज्य सरकार के एकमात्र सुपर स्पेशियलिटी संस्थान आजीआइएमएस में न्यूरोलॉजी विभाग तो स्थापित है पर वहां भी डीएम की पढ़ाई नहीं होती है. प्रतिदिन औसतन 100-150 मरीजों इलाज के लिए आते हैं.
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