पटना : राज्य में चल रही असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली में यूजीसी की 2009 की गाइड लाइन से पहले पीएचडी करनेवाले करीब 40 हजार अभ्यर्थियों को मौका नहीं मिलेगा. केंद्र सरकार ने 10 मई को इस संबंध में नयी गाइड लाइन जारी कर दी है और इसमें पांच प्रावधान भी किये हैं, लेकिन वर्तमान में चल रही नियुक्ति प्रक्रिया में इसका लाभ अभ्यर्थियों को नहीं मिलेगा. शिक्षा विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ऐसे अभ्यर्थियों को नयी नियुक्ति प्रक्रिया में लाभ मिल सकेगा.
इससे पहले राज्य सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया एक्ट और परिनियम में संशोधन करना होगा. वर्तमान में 3364 असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए इंटरव्यू चल रहा है. इसके लिए 2014 में यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के आधार पर पीएचडी करनेवाले अभ्यर्थियों से आवेदन लिया जाना शुरू हुआ.
लेकिन, बाद में मामला हाइकोर्ट में जाने के बाद कोर्ट ने 2009 से पहले पीएचडी करनेवाले अभ्यर्थियों का भी आवेदन लेने का निर्देश दिया, जिसके बाद उनसे भी आवेदन लिये गये. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली में यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के आधार पर ही हो. इसके बाद बिहार लोक सेवा आयोग ने अभ्यर्थियों के आवेदन शॉर्ट लिस्ट कर इंटरव्यू शुरू किया. अब तक आधे दर्जन विषयों के इंटरव्यू हो चुके हैं.
शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें, तो वर्तमान में चल रही नियुक्ति प्रक्रिया में कोई फर्क नहीं पड़ेगा. यह प्रक्रिया जब शुरू हुई थी, तब नियम अलग थे. नया नियम मई, 2016 को आया है, इसलिए नये नियम से पुरानी बहाली को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. शिक्षा विभाग के अधिकारी यह भी बताते हैं कि यूजीसी की ओर से अब तक कोई गाइडलाइन नहीं आयी है. इसके आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
नयी गाइडलाइन में पांच शर्तें अनिवार्य
1. केवल नियमित पद्धति से पीएचडी उपाधि प्रदान की गयी हो
2. न्यूनतम दो बाह्य परीक्षकों ने शोध प्रबंध का मूल्यांकन किया हो
3. अभ्यर्थी ने अपने पीएचडी शोध कार्य में से दो शोध पत्र प्रकाशित किये हों, जिनमें से कम-से-कम पत्र संदर्भित जर्नल में प्रकाशित हुआ हो.
4. अभ्यर्थी ने अपने पीएचडी शोध कार्य में से दो पेपर संगोष्ठियों-सम्मेलनों में पेश किये हों.
5. अभ्यर्थी का मौखिक साक्षात्कार संचालित किया गया हो.