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शराब पीने से जब खदेरन की मदर को फर्क नहीं पड़ता, तो सरकार को क्या फर्क पड़ेगा

शराबबंदी. हाइकोर्ट में बहस के दौरान लगे ठहाके, लोहा सिंह नाटक का भी हुआ जिक्र इलाज में जरूरत और उज्जैन के भैरोनाथ मंदिर का भी दिया हवाला, अब मंगलवार को होगी सुनवाई पटना : शराबबंदी के विरोध में दायर याचिकाओं की सुनवाई अब मंगलवार को हाेगी. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस नवनीति […]

शराबबंदी. हाइकोर्ट में बहस के दौरान लगे ठहाके, लोहा सिंह नाटक का भी हुआ जिक्र
इलाज में जरूरत और उज्जैन के भैरोनाथ मंदिर का भी दिया हवाला, अब मंगलवार को होगी सुनवाई
पटना : शराबबंदी के विरोध में दायर याचिकाओं की सुनवाई अब मंगलवार को हाेगी. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान शराबबंदी के विरोध में वकीलों ने हृदय रोग और मधुमेह के इलाज में शराब के लिए डॉक्टरों की सिफारिश की चर्चा की.
साथ ही उज्जैन के भैरो नाथ मंदिर में शराब को प्रसाद के रूप में चढ़ाये जाने का भी तर्क दिया गया. इतना ही नहीं, लोहा सिंह नाटक के उस अंश का भी जिक्र हुआ, जिसमें लोहा सिंह कहते हैं कि शराब पीने से जब खदेरन की मदर को कोई फर्क नहीं पड़ता है, तो सरकार को क्या फर्क पड़ेगा. कोर्ट में सुनवाई के दौरान ठहाके भी गूंजे. हालांकि इन तर्कों के बाद भी याचिकाकर्ताओं को फिलहाल किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिली.
एक साथ कैसे पी जाएं छह बोतल शराब : इससे पहले रिटायर सैनिक अवधेश कुमार सिंह की ओर से वरीय अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार ने कहा कि पूर्व सैनिकों को महीने में छह बोतल शराब सेना के कैंटीन से मिलती है.
अब सरकार ने इस पर पाबंदी लगा दी है. इस पर कोर्ट ने कहा आपको मिलती है, तो आप कैंटीन एरिया में ही इसे पी लें. इस पर वकील ने कहा, छह बोतल एक साथ, एक समय में कैसे पी जायें. प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि संविधान में राज्य सरकार को शराब के संबंध में कानून बनाने का अधिकार है.

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