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झारखंड बंटवारे के बाद बिहार की कृषि पर निर्भरता बढ़ी : होदा

पटना. संयुक्त बिहार कृषि और औद्याेगिक रूप से संपन्न था. वर्ष 2000 के बंटवारे के बाद उद्योग झारखंड के हिस्से में चले गये और उसके बाद बाकी का बिहार कृषि पर पूरी तरह निर्भर हो गया. इस राज्य की 64 प्रतिशत जनता पूरी तरह से कृषि पर आश्रित हैं. यह स्थिति ठीक नहीं कही जा […]

पटना. संयुक्त बिहार कृषि और औद्याेगिक रूप से संपन्न था. वर्ष 2000 के बंटवारे के बाद उद्योग झारखंड के हिस्से में चले गये और उसके बाद बाकी का बिहार कृषि पर पूरी तरह निर्भर हो गया. इस राज्य की 64 प्रतिशत जनता पूरी तरह से कृषि पर आश्रित हैं.

यह स्थिति ठीक नहीं कही जा सकती. यह बेहतर तभी होगा, जब कृषि नीतियां बेहतर होंगी. ये बातें सोमवार को गांधी संग्रहालय में रणछोड़ प्रसाद स्मृति व्याख्यान में आइसीआरआइइआर के चेयर प्रोफेसर अनवारुल होदा ने कहीं. क्या कृषि को सरकार उचित मदद दे रही है विषय पर आयोजित व्याख्यान में उन्होंने कहा कि कृषि नीति को लेकर डब्ल्यूटीओ से कई तरह के नेगोशिएशंस चल रहे हैं.

इसके कारण देश की कृषि नीति पर असर पड़ा है. कायदे से कृषि को सरकार की सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है. लेकिन, इस दिशा में उतना काम नहीं हुआ. विदर्भ और बुंदेलखंड हमारी नाकाम कृषि नीतियों के उदाहरण हैं. व्याख्यान की अध्यक्षता डाॅ एसएन सिन्हा ने की. मौके पर सिद्धेश्वर प्रसाद, गांधीवादी विचारक रजी अहमद आदि मौजूद थे.

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