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अधर में लटका रैनबसेरों का निर्माण

कुव्यवस्था : आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में खुले में रात गुजार रहे मरीज और परिजन पटना : आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में मरीज व उनके परिजनों को सुविधा देने के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. यही वजह है कि मरीज व उनके परिजन खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं. आइजीआइएमएस में गत वर्ष अक्तूबर […]

कुव्यवस्था : आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में खुले में रात गुजार रहे मरीज और परिजन
पटना : आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में मरीज व उनके परिजनों को सुविधा देने के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. यही वजह है कि मरीज व उनके परिजन खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं. आइजीआइएमएस में गत वर्ष अक्तूबर में ही अटेंडेंट भवन का निर्माण होना था, लेकिन यह काम अब तक पूरा नहीं हुआ है. इसी तरह पीएमसीएच के रैनबसेरे की स्थिति भी जर्जर है. प्रभात खबर टीम ने जब दोनों अस्तपालों के रैनबसेरों का मुआयना किया तो सच्चाई सामने आयी.
बोर्ड पर काम पूरा, हकीकत कुछ और : आइजीआइएमएस के दंत विभाग के पास 50 बेड के अटेंडेंट भवन का निर्माण किया जा रहा है. अटेंडेंट भवन के सामने लगे उद्घाटन बोर्ड पर लिखा है कि निर्माण कार्य अक्तूबर 2015 में ही पूरा कर लिया गया है. लेकिन, सच्चाई इससे विपरीत है.
अभी यहां न तो छतों की ढलाई हुई है और नहीं कमरों का निर्माण किया गया है. भवन का निर्माण कर रहे कारीगरों से जब बातचीत की गयी, तो पता चला कि अटेंडेंट भवन बनने में अभी दो से तीन महीने का समय लग सकता है.
गेस्ट हाउस के भरोसे मरीज : मरीजों की सुविधा के लिए पीएमसीएच में भी रैनबसेरा बनाया गया है. लेकिन, आज की तारीख में इसकी हालत जर्जर हो चुकी है. यहां फर्श से लेकर दीवार पूरी तरह से टूट चुकी है. कोई व्यवस्था नहीं होने के चलते परिजन गेस्ट हाउस से काम चला रहे हैं.
आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में रोजाना तीन से पांच हजार मरीज आते हैं. ठहरने का ठिकाना नहीं होने के चलते सबसे अधिक परेशानी मरीज के परिजनों को होती है. मरीजों को कैंपस या फिर प्राइवेट होटल लेकर गुजारा पड़ रहा है. वहीं अगर इन दोनों अस्पतालों में रैन बसेरों का निर्माण हो जाता तो मरीजों को बाहर महंगे दामों पर कमरे लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
सांसद निधि से मिले हैं 54 लाख रुपये
अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अटेंडेंट भवन के निर्माण कार्य के लिए सांसद सीपी ठाकुर के स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत 54 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गयी है. स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन यानी कार्य प्रमंडल-1 की ओर से लगाये गये बोर्ड में कार्य प्रारंभ की तिथि 20 जनवरी 2015 और कार्य पूरा होने की तिथि 20 अक्तूबर 2015 दर्शायी गयी है. जबकि, यहां अभी आधा से अधिक काम बाकी है.

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