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आशा को न प्रशिक्षण मिला, न ही सभी को ड्रग किट
पटना : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत एक हजार की आबादी पर हर गांव में एक महिला प्रामाणिक सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) का चयन किया जाना था. आबादी के अनुसार 87135 आशा की आवश्यकता है, जबकि इसके लिए 85239 आशा कार्यकर्ता हैं. इनको उच्चस्तर का प्रशिक्षण देना जो अभी तक आधे से अधिक को […]
पटना : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत एक हजार की आबादी पर हर गांव में एक महिला प्रामाणिक सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) का चयन किया जाना था. आबादी के अनुसार 87135 आशा की आवश्यकता है, जबकि इसके लिए 85239 आशा कार्यकर्ता हैं.
इनको उच्चस्तर का प्रशिक्षण देना जो अभी तक आधे से अधिक को नहीं मिला है. आशा को ड्रग किट भी दिया जाना है जिससे स्थीनीय स्तर पर प्राथमिक उपचार किया जा सके , वह किट भी सभी आशा को नहीं मिला. कुछ आशा को किट दिया गया जब उसकी जांच की गयी तो उसमें रखी गयी दवाएं एक्सपायर हो गयी थी.
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्तूबर 2015 तक राज्य के 55195 आशा को तीसरे और महज 6836 को चौथे चरण का प्रशिक्षण दिया गया.
आशा के पास समुदाय को प्राथमिक स्वास्थ्य की देखरेख व सेवा उपलब्ध कराने के लिए 15 दवाओं के साथ एक ड्रग किट दिया जाना था. इसके लिएराज्य स्वास्थ्य समिति ने 87135 आशा ड्रग किट के लिए 2082रुपये प्रति किट के हिसाब से 38 जिलों में नवंबर 2010 और जनवरी 2011 के बीच आपूर्ति करने के लिए एक एजेंसी के साथ करार किया.
जिन जिलों में जांच की गयी, वहां पर 3731 अधिक किट जिसका मूल्य 80.79 लाख की खरीद कर ली गयी थी. आशा की नियुक्ति स्वीकृत पद से कम की गयी थी ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 1942 आशा ड्रग किट बेकार पड़े थे. जिन जिलों का नमूनों की जांच की गयी उसमें 2011-15 के दौरान आशा किट की दवाओं की प्रतिपूर्ति ही नहीं की गयी थी.
मुजफ्फरपुर जिला के मुरौल, पूर्वी चंपारण जिला के पहाड़पुर और पश्चिम चंपारण जिला के चनपटिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पाया गया कि 51 आशा किट में दवाएं एक्सपायर हो गयी थी.
एक नवजात शिशु किट की कीमत 1100 रुपये थी. इसी तरह से नवजात शिशु की घर पर देखभाल के लिएं नवजात किट की आपूर्ति के लिए एक एजेंसी के साथ कंट्रेक्ट किया गया. जब रिकार्ड की जांच की गयी तो पाया गया कि औरंगाबाद, भागलपुर, जमुई, पटना, सहरसा, शिवहर और सीतामढ़ी में नवजात किट की आपूर्ति ही नहीं की गयी है. इसके लिए भी सभी आशा को प्रशिक्षित नहीं किया गया था.
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