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लोगों की पसंद है हसीना मान जायेगी

लोगों की पसंद है हसीना मान जायेगीहीरालाल के पास है भूंजा की अनोखी रेंजखाने वाले भी नाम लेकर ही लेते हैं भूंजालाइफ रिपोर्टर पटनाअापने भूंजा तो जरूर खाया होगा. मुमकिन है हर जगह आप सादा या प्याज युक्त भूंजा ही खाये हो, लेकिन आपने कभी हसीना मान जायेगी, हसीना उछल जायेगी, पलंग तोड़ नाम का […]

लोगों की पसंद है हसीना मान जायेगीहीरालाल के पास है भूंजा की अनोखी रेंजखाने वाले भी नाम लेकर ही लेते हैं भूंजालाइफ रिपोर्टर पटनाअापने भूंजा तो जरूर खाया होगा. मुमकिन है हर जगह आप सादा या प्याज युक्त भूंजा ही खाये हो, लेकिन आपने कभी हसीना मान जायेगी, हसीना उछल जायेगी, पलंग तोड़ नाम का भूंजा खाया है? जी हां, राजापुर पुल से दीघा जाने के क्रम में गोसांइ टोला कॉर्नर पर भूंजा बेचने वाले हीरालाल के पास ऐसे ही कुछ भूंजा की रेंज है.नाम से लेते है भूंजामूल रूप से सीवान के निवासी हीरालाल 1962 से भूंजा बेच रहे हैं. भूंजा को लेकर इतने अजीब नाम रखने के बारे में वह बताते हैं, जमाना बदल रहा है इसलिए बदलते जमाने के हिसाब से मैंने यह नाम दे रखा है. यह पूछने पर कि क्या लोग इन नामों के बारे में जानते हैं? वह कहते हैं, जो रेगुलर कस्टमर हैं, वह इन नामों से वाकिफ हैं. वह आते हैं तो नाम लेकर ही भूंजा मांगते हैं और जो नहीं जानते हैं उनको भूंजा देने से पहले मैं इन नामों के साथ पूछता हूं कि कौन-सा भूंजा देना है. नाम सुन कर उन्हें मजा भी आता है. वे खूब हंसते भी हैं और चांव से खाते भी हैं. मसालों की है खासियतनाम के साथ इन भूंजा में मसालों की विशेषता है. हीरालाल कहते हैं, सबसे कम मसाला हसीना मान जायेगी में रहता है. उसके बाद जैसे-जैसे भूंजा में मसाला की मात्रा बढ़ती है, उसका नाम बदलते जाता है. पहले कुर्जी मोड़ के पास अपनी दुकान लगाने वाले हीरालाल कहते हैं, जब 60 के दशक में पटना आया तब एक परिचित के पास काम करने लगा था. वहां दिन भर काम करने के बाद तीन रूपये मिलते थे. थोड़े और पैसों के लिए मैंने भूंजा बेचना शुरू किया. तब तीन रूपये से ज्यादा के भूंजा बिक गये. तब मन में थोड़ा और बेहतर करने की तमन्ना जागी जो आज तक बदस्तूर जारी है.डॉक्टर ने मंगाया भूंजाहीरालाल कहते हैं, एक बार महावीर वात्सल्य हॉस्पीटल में जाना हुआ तो वहां मेरे भूंजा की एक ग्राहक पहले से ही वहां मौजूद थी. उन्होंने डॉक्टर से मेरे भूंजा की तारीफ कर दी, तब डॉक्टर ने कहा कि हर शुक्रवार को एक किलो भूंजा लाकर हॉस्पीटल में ही बना कर देना है. इस बार डॉक्टर साहब के लिए भूंजा लेकर जाना है.

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