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पंचायत सरकार भवन में खुले बैंक : सीएम

बैठक. सीएम बोले, प्रत्येक पंचायत तक हो बैंकों की पहुंच, शाखा खोलने के लिए सरकार देगी जगह सभी पंचायतों में बैंक शाखा खोलने के लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने का दिया आदेश बैंकों की सीडीआर में सुधार, लेकिन अब भी स्थिति नहीं हुई संतोषजनक सूबे में 13 प्रखंड ऐसे हैं, जहां अभी तक […]

बैठक. सीएम बोले, प्रत्येक पंचायत तक हो बैंकों की पहुंच, शाखा खोलने के लिए सरकार देगी जगह
सभी पंचायतों में बैंक शाखा खोलने के लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने का दिया आदेश
बैंकों की सीडीआर में सुधार, लेकिन अब भी स्थिति नहीं हुई संतोषजनक
सूबे में 13 प्रखंड ऐसे हैं, जहां अभी तक नहीं है किसी बैंक की शाखा
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एसएलबीसी की बैठक में अभी तक सभी पंचायतों में बैंक की शाखा नहीं खोलने पर बेहद नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, 25 वर्ष तक के बेरोजगार युवाओं को दो वर्ष तक एक हजार प्रति माह ‘सेल्फ हेल्प एलाउंस’ देने, पेंशन, छात्रवृत्ति समेत तमाम योजनाओं का क्रियान्वयन बैंकों से ही होना है.
ऐसे में बैंकों की पहुंच प्रत्येक पंचायत तक होनी चाहिए. पंचायत स्तर पर बैंकों की शाखा खोलने के लिए ‘पंचायत सरकार भवन’ में जगह मुहैया करायी जायेगी. सभी पंचायत स्तर पर तैयार होनेवाले इन भवनों में जगह देने के लिए सरकार तैयार है. योजनाओं का क्रियान्वयन बैंकों के माध्यम से होने से बैंकों की वित्तीय स्थिति में भी सुधार होगा.
जनवरी से मार्च तक पैसे नहीं होंगे ट्रांसफर सिद्दीकी
वित्त मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी ने कहा कि जनवरी से मार्च के बीच किसी बैंक में पहले से मौजूद सरकारी राशि का हस्तांतरण नहीं होगा. जिस में बैंक सरकारी राशि मौजूद है, उसी बैंक में रहेगी. इन महीनों में इसे किसी दूसरे बैंक में नहीं रखा जायेगा. उन्होंने कहा कि बैंकों को स्वयं सहायता समूह और सहकारिता के क्षेत्र को खासतौर से तवज्जो देना चाहिए.
बैंक भी सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करें. शिक्षा ऋण के स्थान पर बैंकों का पैसा बड़े-बड़े उद्योगों के पास ज्यादा फंसा हुआ है. एनपीए के बड़े कारण हैं. इस बैठक में नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी, पशु पालन मंत्री अवधेश सिंह, उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह, सहकारिता मंत्री आलोक मेहता, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर कुमार सिंहा, डीजीपी
पीके ठाकुर, वित्त प्रधान सचिव रवि मित्तल, उद्योग प्रधान सचिव त्रिपुरारी शरण, नगर विकास आवास के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा, वित्त सचिव राहुल सिंह, आरबीआइ के क्षेत्रीय प्रबंधक एमके वर्मा समेत अन्य विभागों के सचिवों के अलावा सभी बैंकों के महाप्रबंधन और जोनल मैनेजर मौजूद थे. स्वागत भाषण एसबीआइ के सीजीएम अजीत सूद ने किया.
सीडीआर की स्थिति संतोषप्रद नहीं
सीएम ने ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इनके प्रखंड में किसी बैंक की शाखा नहीं है. जबकि यहां तक सड़क समेत तमाम सुविधाएं मौजूद है.
उन्होंने कहा कि राज्य में बैंकों का सीडी रेसियो (साख-जमा अनुपात) बेहतर हुआ है. 2005 में यह 32.10 प्रतिशत होता था. वर्तमान में यह बढ़कर 44.95 प्रतिशत हुआ है, लेकिन अभी भी इसमें काफी सुधार की जरूरत है. दूसरे राज्यों की तुलना में यह बेहद कम है. महाराष्ट्र में सीडीआर 200 प्रतिशत तक है. यहां के पैसे से दूसरे राज्यों में लोन दिया जा रहा है.
सीएम ने बैंकों को दिये ये टास्क
-सीडी अनुपात में सुधार लाते हुए इसे राष्ट्रीय औसत 78 प्रतिशत के आसपास पहुंचाये.
-सीवान जिला का सीडीआर 23.63 प्रतिशत है, ऐसे जिलों पर खास ध्यान दें
-कोटक महिंद्रा और बंधन बैंक ने रिपोर्ट तक नहीं दी है, यह नहीं होना चाहिए
-आरबीआइ से सीएम ने कहा कि नियम का उल्लंघन करने वाले ऐसे बैंकों पर हो कार्रवाई
-10 हजार की आबादी वाले 294 गांव आज भी शाखा विहीन, इनमें ब्रांच खोलने को टारगेट सेट करें
-पंचायतों को एक यूनिट मानकर, प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक बैंक शाखा खोले
-राज्य में 17 हजार की आबादी पर एक बैंक शाखा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 11 हजार आबादी का है
-अभी तक राज्य की 5298 पंचायतों में बैंक की कोई शाखा नहीं
-वित्तीय वर्ष 2015-16 में 527 बैंक शाखा खोलने का लक्ष्य, अब तक 166 शाखाएं ही खुली, लक्ष्य प्राप्त करें
-2015-16 में केसीसी के 15 लाख के लक्ष्य में महज 24.86 प्रतिशत ही उपलब्धि हुई.
-सीएम ने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सभी बैंकों को कृषि ऋण शिविर लगाने को कहा.
-डेयरी और मत्स्य पालन की योजनाओं में ऋण देने की स्थिति बेहद खराब, सुधारने को कहा
केंद्र से नहीं मिली राशि सड़क का निर्माण रुका
पटना : राशि के अभाव में सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में 15 हजार किलोमीटर सड़क के निर्माण पर ग्रहण लग गया है़ राज्य सरकार को केंद्र से 9648 करोड़ का इंतजार है. मुख्यमंत्री के पत्र और ग्रामीण कार्य मंत्री के अनुरोध का भी कोई असर नहीं दिख रहा है. गांवों में बारहमासी सड़क नीतीश सरकार की प्राथमिकता में है लेकिन केंद्र उसपर पानी फेर रहा है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बसावटों को बारहमासी सड़क से जोड़ना है.
वित्तीय वर्ष 2013- 14 तक राज्य में 20199 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की गयी जिसमें से 10551 करोड़ ही उपलब्ध कराया गया. 9648 करोड़ का अभी भी इंतजार है. यह फेज 1 की योजना है.
बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने इस योजना में बदलाव करते हुए अब इसमें 60-40 का फार्मूला लागू किया है यानी केंद्र अब राज्य को सिर्फ 60 फीसदी राशि ही देगा. 40 फीसदी राशि राज्य सरकार को लगाना है. इस बीच राज्य सरकार ने ग्रामीण सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता को प्राथमिकता देते हुए पेवर के उपयोग का निर्णय लिया.राज्य सरकार का कहना है कि फेज वन में केंद्र को ही शत-प्रतिशत राशि देना है .
राशि के अभाव में सड़क निर्माण ठप है . मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले महीने की 13 तारीख को प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर राशि उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. पिछले महीने की 20 तारीख को ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजेश भूषण से इस सं‌बंध में बात की. एक पखवारा के बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है.
केंद्र बिहार के साथ नाइंसाफी कर रहा है. झारखंड को वह राशि दे रहा लेकिन बिहार के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है. राशि के अभाव में फेज वन की योजना रुकी हुई है. अभी काम का समय है लेकिन केंद्र के रवैये से परेशानी हो रही है.
शैलेश कुमार
ग्रामीण कार्य मंत्री

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