बच्चों के लिए फिल्म बनाना चाहते हैं तिग्मांशुहाल ही में स्माइल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल फॉर चिल्ड्रन एंड यूथ के एडवाइजरी अधिकारी बने तिग्मांशु धूलिया बच्चों पर आधारित और बच्चों के लिए फिल्म बनाना चाहते हैं. हमारे देश में 90 फीसदी लोगों की तनख्वाह आज भी 10,000 रुपये से कम है. उन लोगों के लिए एक फिल्म की खातिर 250 से 300 रुपए खर्च करना बजट से बाहर हो जाता है. भारत में फिल्मों की कामयाबी उनके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को देखर तय की जाती है. फिल्मों को केवल फिल्म फेस्टिवलों में प्रदर्शित करने से केवल तारीफ हासिल होती है, लेकिन वह फिल्म लोगों तक पहुचने में चूक जाती है. इन सब बातों पर नजर रखते हुए स्माइल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल फॉर चिल्ड्रन एंड यूथ ने सामाजिक संदेशों वाली 50 इंडिपेंडेंट फीचर फ़िल्में, शार्ट फिल्म और डॉक्यूमेंट्री फिल्म को बच्चों के लिए प्रदर्शित करने का फैसला लिया है. इस बारे में बताते हुए तिग्मांशु धूलिया ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है की आज भी बच्चों के लिए जो फिल्में बनती हैं, उनकी टिकट काफी महंगी रहती हैं, जिनके कारण फिल्म टारगेट ऑडियंस तक नहीं पहुंच पाती है. बच्चों को मीनिंगफुल सिनेमा पसंद है, लेकिन टिकटों के दाम ज्यादा रहने से वे फिल्में नहीं देख पाते हैं. मै कुछ ऐसी फिल्में बनाना चाहता हूं, जिसका बच्चे लाभ उठा सकें और वे उनके बजट में भी हों.
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बच्चों के लिए फल्मि बनाना चाहते हैं तग्मिांशु
बच्चों के लिए फिल्म बनाना चाहते हैं तिग्मांशुहाल ही में स्माइल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल फॉर चिल्ड्रन एंड यूथ के एडवाइजरी अधिकारी बने तिग्मांशु धूलिया बच्चों पर आधारित और बच्चों के लिए फिल्म बनाना चाहते हैं. हमारे देश में 90 फीसदी लोगों की तनख्वाह आज भी 10,000 रुपये से कम है. उन लोगों के लिए एक […]
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