एक बेड : दो मां + दो नवजात फ्फ्लैगप्रसूता की पीड़ा. पीएमसीएच में दो महिलाओं को बच्चों के पालन के दिया जाता है एक बेड प्रभात पड़तालफोटो जेपी देंगे – एक ही बेड के अलग-अलग सिरहानों में बच्चों के साथ किसी तरह रहती हैं महिलाएं – प्रसूति विभाग के डिलेवरी रूम नंबर एक व दो की स्थिति खराबआनंद तिवारी, पटनाराजधानी के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में इन दिनों प्रसूता की पीड़ा बढ़ गयी है. अस्पताल के प्रसूति विभाग में दो प्रसूताओं को एक बेड पर ही रखा जा रहा है. यह वैसी ही स्थिति है, जैसे ट्रेन में आरएसी में सीट मिल जाना. अपने-अपने नवजात के साथ दो महिलाएं एक ही बेड पर कैसे रह रही हैं, इसकी कल्पना की जा सकती है. बेड के एक सिरहाने पर एक, तो दूसरे सिरहाने पर दूसरी प्रसूता लेटी रहती हैं. जगह कम पड़ने पर वह अपने पैर बाहर में रखे स्टूल पर रखती हैं, ताकि उसे कोई प्रॉब्लम नहीं हो. लेकिन हकीकत यह भी है कि डिलिवरी के दौरान पहले ही कमजोर पड़ चुकी महिलाओं के लिए इस तरह अधिक देर तक पैर को बेड से बाहर रखना ठीक नहीं है. लेकिन न इसकी चिंता डॉक्टरों को है और न ही पीएमसीएच प्रशासन को. रात भर फर्श पर पड़े रहे जच्चा-बच्चा प्रसूति विभाग के डिलिवरी रूम में बच्चे का जन्म होते ही मां और बच्चे को फर्श पर ही लेटा दिया जाता है. इस बात का खुलासा तब हुआ, जब टीम ने विभाग के डिलिवरी रूम दो का मुआयना किया. मीठापुर इलाके की रहने वाली सरिता के पति विजय साह ने बताया कि शुक्रवार को उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया. बेड नहीं मिलने के दौरान अस्पताल के स्टाफ ने फर्श पर सोने को कहा. विजय और उसकी मां दोनों अस्पताल के चक्कर काटे, लेकिन बेड नहीं मिला. अंत में पूरी रात प्रसूता व बच्चा फर्श पर ही लेटे रहे. वहीं सरिता के साथ बेड शेयर कर रही पटना सिटी की विभा देवी ने बताया कि उनके घर बेटी का जन्म हुआ है. बेटी गुरुवार की देर रात हुई. बेड के लिए उनके परिजनों ने नर्स और डॉक्टर से कहा, लेकिन पलंग नहीं होने की बात कह फर्श पर सोने को मजबूर कर दिया. पूरी रात गुजारने के बाद जब सुबह हुआ, तो सरिता और विभा दोनों को एक ही बेड पर बच्चों के साथ शिफ्ट कर दिया गया. चार हजार का करोड़ का बजट चार हजार करोड़ से अधिक स्वास्थ्य बजट वाले प्रदेश की राजधानी पटना में स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह बदहाल है इसका उदाहरण पीएमसीएच के प्रसूति विभाग बयां कर रही है. इस साल भी चार हजार करोड़ का बजट रखा गया है, जबकि पोषण आहार और आगंनबाड़ी के लिए अलग से बजट है. बावजूद इसके स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर न प्रशासन चौकस है और न ही सरकार. सुविधा के नाम पर महज खानापूर्तियह अस्पताल गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बड़ा सहारा है. निजी अस्पतालों में डिलिवरी पर 25 हजार से 40 हजार रुपये तक खर्च होते हैं. लेकिन, पीएमसीएच में डिलेवरी कराने पर यह राशि बच जाती है. यही वजह है कि यहां भीड़ अधिक होती है, लेकिन सुविधा बढ़ाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. यह है वार्ड की स्थिति- कुल पलंग की संख्या- 40- डिलिवरी बेड की संख्या- 6- रोजाना 11 से 12 प्रसूताओं की होती है डिलेवरी- इन दिनों 63 प्रसूताओं का हो रहा इलाज क्या कहते हैं अधिकारीडिलेवरी केस आता है, तो उसे करने से इनकार तो नहीं किया जा सकता है. हम लोगों ने पीएमसीएच के बहुत सारे विभागों में बेड की संख्या बढ़ायी है. वहीं प्रसूति विभाग में भी बेड बढ़ाने के लिए विभाग ने पत्र लिखा है. बेड बढ़ जाने के बाद यह परेशानी कम हो जायेगी.- डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच\\\\B
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एक बेड : दो मां + दो नवजात
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