पटना: 40 पुलिस जिले,150 अनुमंडल पुलिस, 840 थानों में साढ़े 10 करोड़ लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात हैं 45 हजार पुलिसकर्मी. इनके कंधों पर है 94 हजार किलोमीटर में फैली राज्य की आबादी को सुरक्षा देना. इसके लिए सरकार ने पुलिस महकमे को 6100 गाड़ी उपलब्ध करायी है,जबकि जरूरत है 8000 वाहन की.इन गाड़ियों के परिचालन पर गौर करें तो एक थाने को हर माह गश्ती व अन्य काम के लिए 110 लीटर डीजल मिलता है. थानेदार परेशान रहते हैं कि इतने कम ईंधन में कैसे गश्ती होगी.
एरिया के अनुरूप कम मिलता है ईंधन
पुलिस मुख्यालय सूत्रों का कहना है कि एक थाने का क्षेत्रफल 10 से 12 किलोमीटर तक फैला है. कहीं-कहीं यह 20-25 किलोमीटर के क्षेत्र में है. प्रावधान के अनुसार एक थाने को 24 घंटे में तीन बार पूरे क्षेत्र की गश्ती करनी है. इस तरह डीजल के खर्च पर गौर करें तो एक थाने को 300-350 लीटर डीजल की जरूरत है, पर मिलता है मात्र 110 लीटर. अधिकारियों की बात करें तो मुख्यालय से लेकर जिला तक के अधिकारियों को 200 लीटर डीजल देने का प्रावधान है, लेकिन खर्च होता है 300 से 400 लीटर. थानों में अगर पुलिस वाहन खराब हो गयी तो उसे ठीक कराने में जो खर्च आयेगा. उसे पहले थानाध्यक्ष अपनी जेब से भरेंगे. बाद में बिल बना कर जिला भेजेंगे. जब आवंटन आयेगा तो उसका भुगतान होगा.
थानों को नहीं मिलती नयी गाड़ी
हर वर्ष पुलिस आधुनिकीकरण योजना की राशि(20 -25 करोड़ रुपये)वाहन की खरीदारी के लिए आती है. वाहन खरीदे भी जाते हैं, लेकिन वह नक्सल प्रभावित जिलों में ऑपरेशन से संबंधित रहता है. गैर नक्सल प्रभावित जिलों के लिए जो वाहन खरीदे जाते हैं. पहले उसे जिलों के एसपी व पुलिस लाइन को दिया जाता है और जब वह खराब होने की स्थिति में आती है तो उसे थानों में भेज दिया जाता है.
10 वर्ष से बंद है चौकीदार की नियुक्ति
गांवों में आधी रात को जागते रहो की आवाज गूंजती थी अब वह बंद हो गयी है. कारण चौकीदार की 10 वर्ष से नयी नियुक्ति नहीं हुई है. राज्य में 17 हजार से अधिक चौकीदार की जरूरत है,लेकिन उपलब्ध हैं मात्र नौ हजार. जो हैं भी वे थानेदार की ड्यूटी से परेशान रहते हैं. उन्हें गश्ती करने का समय नहीं मिलता है. नयी नियुक्ति को लेकर भी परेशानी है. नयी नियमावली बननी है, जो अब तक नहीं बनी है.
198 नये वाहनों की होगी खरीदारी
गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वाहन की कमी है. 198 नये वाहन खरीदने का प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय से मिला है. इसकी जांच हो रही है. जल्द ही विभागीय प्राधिकृत समिति से मंजूरी मिलेगी. इसके बाद मंत्रिमंडल से मंजूरी ली जायेगी तब खरीदारी के लिए निविदा जारी की जायेगी. अगले वर्ष तक नये वाहनों की खरीदारी की संभावना है. जहां तक चौकीदार की उपलब्धता का सवाल है तो जिलों से रिक्तियों का ब्योरा मांगा गया है. नयी नियमावली के गठन की प्रक्रिया चल रही है.