पटना: गलत जगह पर डस्टबीन रखा गया था. इस कारण कई बार दुर्घटना होते-होते बची. जब नागरिकों ने इसकी जगह बदलने का अनुरोध किया तो नगर निगम ने वहां से डस्टबीन ही हटा दिया. यह खुलासा पटना उच्च न्यायालय में सुनील कुमार की लोकहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हुआ. न्यायाधीश नवीन सिन्हा और शैलेश कुमार सिन्हा के खंडपीठ ने सरकार से कहा कि वे यह नहीं सुनना चाहते हैं कि कर्मियों की कमी है या कौन सहयोग नहीं कर रहा है. कोर्ट ने अब तक कई आदेश जारी किये हैं. मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी.
गंदगी के लिए कौन जिम्मेवार
खंडपीठ ने कहा कि हमारा पुराना आदेश है किराजधानी की सड़कें चकाचक दिखे, लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हो रही है. पटना नगर निगम के अधिकारियों को दिल्ली की व्यवस्था देखनी चाहिए कि वहां डस्टबीन कैसे रखे जाते हैं. कोर्ट ने बेली रोड पर पारस अस्पताल की गंदगी को लेकर भी फटकार लगायी. खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल की गंदगी सड़क पर फेंक दी जाती है. इसके लिए कौन जिम्मेवार है.
सरकार से नहीं मिल रहा सहयोग
कोर्ट ने कहा कि पूर्व में भी घर-घर से कचरा उठाने का दावा किया गया था. इस पर अब तक अमल नहीं हुआ है. कुछ मुख्य सड़कों को छोड़ दें, तो आज भी जगह-जगह कचरा पसरा दिखता है. कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो रहा. निगम के अधिवक्ता एचएस हिमकरने खंडपीठ को बताया कि कर्मियों की कमी है.इस संबंध में सरकार से उन्हें सहयोग नहीं मिलरहा है.