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सीआइएमपी में लगे हैं कई तरह के औषधीय गुणों वाले पौधे

सीआइएमपी में लगे हैं कई तरह के औषधीय गुणों वाले पौधेइस तरह का पौधा लगाने वाला संभवत: एकमात्र कैंपस है सीआइएमपीओपेन गार्डेन बनाने की है योजनालाइफ रिपोर्टर पटनाचंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना का संभवत: एकमात्र ऐसा कैंपस है जहां बड़ी संख्या में औषधीय पौधों को लगाया गया है. कैंपस में कई ऐसे पौधे हैं जो […]

सीआइएमपी में लगे हैं कई तरह के औषधीय गुणों वाले पौधेइस तरह का पौधा लगाने वाला संभवत: एकमात्र कैंपस है सीआइएमपीओपेन गार्डेन बनाने की है योजनालाइफ रिपोर्टर पटनाचंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना का संभवत: एकमात्र ऐसा कैंपस है जहां बड़ी संख्या में औषधीय पौधों को लगाया गया है. कैंपस में कई ऐसे पौधे हैं जो फ्री रेडिक्लस, स्ट्रेस को खत्म करने के गुणों के साथ पूरे कैंपस को स्वच्छ हवा देने में सक्षम हैं. वहीं ऐसे भी प्लांट्स हैं जो अपने विशेष गुणों के कारण सांप को भी कैंपस में आने से रोकते हैं. इन पौधों को लगाने का काम भूपेश नाथ ने किया है जो औषधीय पौधों की गहरी जानकारी रखते हैं.सांप को रोकता है सेंसवेरियाकैंपस में लगाये गये यूनिक पौधों में से एक पौधा सेंसवेरिया है. करीब ती-चार फीट की ऊंचाई तक होने वाले इस पौधे का सबसे खास गुण यह है कि इसे लगाने के पास उस एरिया में सांप नहीं आते हैं. साथ ही सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले पौधों में भी इसे शुमार किया जाता है. सेंसवेरिया की तीन प्रजाति के करीब पांच सौ पौधों को इसमें लगाया गया है. वहीं फ्री रेडिकल्स और एंटी ऑक्सीडेंट्स के लिए अपनी पहचान बना चुके एलोवेरा को भी कैंपस में लगाया गया है. इसका एक गुण यह भी है कि यह पौधो इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में सहायक होता है. एलोवेरा के करीब छह सौ पौधों को लगाया गया है. स्ट्रेस खत्म करता है प्लूमेरियाअपने एरोमा से ही स्ट्रेस को खत्म करने वाले पौधों में प्लूमेरिया या चंपा का नाम सबसे पहले आता है. इसके फूलों की सुगंध स्ट्रेस को खत्म करने में बहुत सहायक होती है. इसके अलावा चंपा के एरोमा का उपयोग सुगंधित तत्वाें के उत्पादन के लिए भी होता है. कटिंग कर के लगाये जाने वाले इस प्लांट के करीब 250 पौधों को पूरे कैंपस के किनारे-किनारे लगाया गया है. कैंपस में तितलियों को आकर्षित करने में सक्षम भूमिका निभाने वाले जैट्रोफा को भी लगाया गया है. इसकी खासियत तितलियां तो इसके पराग को खाने के लिए भारी संख्या में इस पौधे पर मंडराती रहती है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार इसके पराग का उपयोग पेट के कब्ज को दूर करने में भी सक्षम होता है.कई और भी हैं प्रजातियांभूपेश ने बताया कि इसके अलावा कैंपस में ओरामेंटल श्रेणी में पाम की दस प्रजातियों के करीब सात सौ पौधों के साथ नीम, पीपल, अर्जुन, महुआ, सेमल, बरगद के करीब 150 पौधों के साथ ही साइकस की कई प्रजातियों के सौ से ज्यादा पौधे, अडेनियम के करीब पांच सौ पौधे के साथ लिली के कई दूसरी प्रजातियों के करीब दौ सौ पौधों को लगाया गया है. पूरे कैंपस में इन पौधों के अलावा अगेव की बीस प्रजातियां के साथ 30 दूसरी अलग-अलग प्रजाति के पौधाे को लगाया गया है. भूपेश नाथ बताते हैं, करीब दस एकड़ के इस कैंपस के तीस प्रतिशत के एरिया में इन पौधों को लगाया गया है. इसमें सभी प्रजातियों को मिलाकर करीब पांच हजार पौधों को लगाया गया है.—————– ओरनामेंटल पौधे तो हर जगह लगता है लेकिन वातावरण और बेहतर हो व दूसरे लोग भी औषधीय पौधों के महत्व को समझे, इसलिए इनको लगाया गया है.प्रोफेसर वी. मुकुंद दास, निदेशक

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