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अब बच्चों के परखे जायेंगे ज्ञान

बच्चों की प्रगति की मूल्यांकन रिपोर्ट की होगी समीक्षा बच्चों को अपने क्लास की गणित व भाषा का होना चाहिए ज्ञान पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूलों (क्लास एक से आठ) में पढ़नेवाले बच्चों की प्रगति मूल्यांकन रिपोर्ट की अब समीक्षा की जायेगी. अब बच्चों को केवल खानापूर्ति के लिए प्रगति रिपोर्ट नहीं दी जायेगी. […]

बच्चों की प्रगति की मूल्यांकन रिपोर्ट की होगी समीक्षा
बच्चों को अपने क्लास की गणित व भाषा का होना चाहिए ज्ञान
पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूलों (क्लास एक से आठ) में पढ़नेवाले बच्चों की प्रगति मूल्यांकन रिपोर्ट की अब समीक्षा की जायेगी. अब बच्चों को केवल खानापूर्ति के लिए प्रगति रिपोर्ट नहीं दी जायेगी.
इसके लिए बच्चे जिस क्लास में पढ़ते हैं, उन्हें संबंधित क्लास के विषयों को ज्ञान होना चाहिए. खासकर गणित व भाषा का ज्ञान होना चाहिए. यह निर्देश बिहार शिक्षा परियोजना के राज्य परियोजना निदेशक संजय कुमार सिंह ने दिया.
गुरुवार को होटल पाटलिपुत्र अशोक में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् द्वारा शिकायत निवारण प्रक्रिया पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा में शिकायतों की प्राप्ति व उनके निष्पादन के लिए निर्धारित शिकायत निवारण प्रक्रिया में जागरूकता पैदा की गयी. राज्य परियोजना निदेशक ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि छह से 14 साल के बच्चे ज्यादा से ज्यादा सीख सकें. अब हमें क्वालिटी को बेहतर करना होगा.
बच्चे जिस क्लास में पढ़ रहे हैं, वास्तव में वे क्या सीखे हैं, यह जानकारी जरूरी है. खासकर बच्चे गणित व भाषा जरूर सीखें. कार्यशाला को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष निशा झा, प्राथमिक शिक्षा निदेशक एम. रामाचंद्रुरूडू, मीडिया प्रभारी आरती रानी ने भी अधिकारियों व प्रतिनिधियों को संबोधित किया. इस मौके पर 10 जिलों के डीइओ, डीपीओ, ग्राम पंचायत, शिक्षा समिति के सदस्य, नगर निकाय के सशक्त स्थायी समिति के सदस्य, विद्यलाय शिक्षा समिति के सदस्य मौजूद थे.
सप्ताह में 45 घंटे की मिनिमम पढ़ाई हो : कार्यशाला में बीइपी के अपर राज्य परियोजना निदेशक रामशरणागत सिंह ने प्रजेंटेशन के माध्यम से टिप्स दिये. उन्होंने कहा कि बच्चों को गणित और भाषा नहीं सिखाना उनके साथ भेदभाव है. इसी से शिकायत पनपती है. उन्होंने बच्चों के 52 तरह के अधिकार की चर्चा की. साथ ही साल में 240 दिन स्कूल चलाने की बात कही.
अगर गर्मी, बाढ़, भूकंप या फिर कोई आपदा आती है, तो कम-से-कम 220 दिन स्कूल जरूर चले. इसे सप्ताह में बांट लिया जाना चाहिए और सप्ताह में 45 घंटे कम-से-कम पढ़ाई होनी चाहिए. स्कूल नहीं चलने से भी लर्निंग प्रभावित होती है.

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