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अंगकोरवाट की प्रतिकृति नहीं विराट रामायण मंदिर
महावीर मंदिर के सचिव किशोर कुणाल ने संस्कृति मंत्रालय को लिखा पत्र पटना : पूर्वी चंपारण के बहुआरा में बन रहे विराट रामायण मंदिर को लेकर कंबोडिया सरकार द्वारा उठायी गयी आपत्ति का उत्तर देते हुए महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय को पत्र लिखा है . पत्र […]
महावीर मंदिर के सचिव किशोर कुणाल ने संस्कृति मंत्रालय को लिखा पत्र
पटना : पूर्वी चंपारण के बहुआरा में बन रहे विराट रामायण मंदिर को लेकर कंबोडिया सरकार द्वारा उठायी गयी आपत्ति का उत्तर देते हुए महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय को पत्र लिखा है .
पत्र में कुणाल ने साफ किया है कि विराट रामायण मंदिर विश्व के किसी एक मंदिर की प्रतिकृति नहीं है. इसमें नेपाल, थाईलैंड, कंबोडिया, बांगलादेश और इंडोनेशिया की अनूठी वास्तुकला की झलक दिखायी देगी. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है,जो किसी व्यक्ति या संस्था को विश्व सांस्कृतिक धरोहर की रिप्लिकिा बनाने से वंचित करता हो, फिर भी हमने कंबोडिया की जनता की भावना का नमन करते हुए पहले नाम और अब वास्तु में भी परिवर्तन किया है.
मंदिर का शिखर अंकोरवाट के टावर के समान
उन्होंने बताया कि विराट् रामायण मंदिर
में केवल शिखर अंगकोरवाट मंदिर के टावर के समान है, लेकिन यहविशुद्ध भारतीय शिल्पकला कला के अनुरूप है. महावीर मंदिर का शिखर भी अंगकोरवाट की शैली के समान है, लेकिन इस शैली की कल्पना चेन्नई के शोर मंदिर की कला से प्रभावित है.
कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर का शिखर चतुष्कोणीय है. इसी शैली का अष्टकोणीय रूप अयोध्या के अमावा मंदिर के शिखर निर्माण में देखा जा सकता है. इसी अष्टकोणीय शिखर का प्रयोग विराट् रामायण मंदिर में किया जायेगा, जिस पर बुंदेलखंड के सोनगिरि स्थित जैन मंदिर एवं कंतनगर के मंदिर का भी प्रभाव है. इस प्रकार विराट रामायण मंदिर की शिखर की कला इन मंदिरों की वास्तुकला से प्रेरणा लेकर विकसित की गयी है, जिसपर अंगकोरवाट का भी आंशिक प्रभाव है .
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