संवाददाता,पटना बिहार में मैथिली, भोजपुरी, अंगिका व वज्जिका समेत कई दस्तावेज कैथी लिपि में उपलब्ध है. इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि कैथी को राज्य लिपि का दरजा दिया जाये. बिहार पुराविद् परिषद्, पटना की ओर से आयोजित कैथी लिपि के प्रशिक्षण समारोह में शनिवार को ये बातें उठीं. समारोह का उद्घाटन पटना विवि के इतिहास विभाग के एचओडी डॉ कामेश्वर प्रसाद ने किया. स्वागत भाषण पटना संग्रहालय के पूर्व निदेशक उमेश चंद्र द्विवेदी ने दिया. भैरव लाल दास ने कहा कि 1100 ईं के बाद से कैथी लिपि की शुरुआत हो गयी थी. 1540 में शेरशाह सूरी पर जब गद्दी पर आये थे. इसे राज्य की लिपि का दरजा दिया था. भोजपुरी की लिपि सिर्फ कैथी में थी.भोजपुरी में भिखारी ठाकुर,वीर कुंवर सिंह,राजकुमार शुक्ल व डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कैथी लिपि में ही अध्ययन किया. चिट्ठियां लिखीं. उनसे जुड़े दस्तावेज उपलब्ध हैं. भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता दिलानी है,तो बताना होगा कि भोजपुरी भाषा की लिपि कैथी थी. मौके पर अध्यक्ष चितरंजन प्रसाद सिन्हा, डॉ विनिता मिश्रा, डॉ किरण, डॉ शिवकुमार मिश्रा व डॉ अशोक सिंह आदि उपस्थित थे.
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कैथी को राज्य लिपि का दरजा दे राज्य सरकार
संवाददाता,पटना बिहार में मैथिली, भोजपुरी, अंगिका व वज्जिका समेत कई दस्तावेज कैथी लिपि में उपलब्ध है. इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि कैथी को राज्य लिपि का दरजा दिया जाये. बिहार पुराविद् परिषद्, पटना की ओर से आयोजित कैथी लिपि के प्रशिक्षण समारोह में शनिवार को ये बातें उठीं. समारोह का उद्घाटन पटना विवि के […]
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