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अस्पताल को सजर्री की दरकार
करबिगहिया स्थित रेलवे के सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल का बुरा हाल आनंद तिवारी पटना : रेलवे कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए बनाये गये पटना जंकशन का सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल खुद बीमारियों से घिरा हुआ है. विभागीय आला अधिकारियों की अनदेखी के चलते यहां कई सुविधाएं ठप पड़ी हुई हैं.अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन […]
करबिगहिया स्थित रेलवे के सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल का बुरा हाल
आनंद तिवारी
पटना : रेलवे कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए बनाये गये पटना जंकशन का सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल खुद बीमारियों से घिरा हुआ है. विभागीय आला अधिकारियों की अनदेखी के चलते यहां कई सुविधाएं ठप पड़ी हुई हैं.अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 130 से अधिक मरीज आते हैं. लेकिन, डॉक्टरों के नहीं मिलने के चलते उन्हें समुचित उपचार नहीं मिल पाता है. बेड व दवा की कमी के चलते मरीजों को बाहर इलाज कराना पड़ता है.
ओपीडी में 11 बजे आते हैं डॉक्टर : ओपीडी में आनेवाले मरीजों का समय पर इलाज नहीं हो पता है.इसका कारण यह है कि यहां डॉक्टर अपने तय समय 9 के बदले 11 बजे आते हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ राजेंद्र नगर टर्मिनल स्थित रेलवे कॉलोनी से आयी अर्चना देवी सुबह 9 बजे आई. उन्होंने बताया कि सुबह एक भी डॉक्टर ओपीडी में नहीं थे. वहीं जब मरीजों ने इसका कारण पूछा तो बताया गया कि डॉक्टर ओटी में हैं. यह समस्या सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि रोजाना होती है.
एक डॉक्टर के भरोसे पूरा बच्च वार्ड : इधर, एक डॉक्टर के भरोसे पूरा बच्च वार्ड चल रहा है. अस्पताल प्रबंधन सिर्फ एक डॉक्टर एके ओझा बच्च वार्ड की सेवा में है. वहीं ओझा को आठ के बजाय 24 घंटे ड्यूटी देनी पड़ती है. सूत्र बताते हैं कि डॉ ओझा भी हाजीपुर से आते हैं. लेकिन, शाम 4 बजे चले जाते हैं. ऐसे में अगर रात को कोई बच्च बीमार होता है, तो उसे यहां से पीएमसीएच या फिर दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है.
एक नजर में समङो अस्पताल को
– रेलवे सुपर स्पेशलिस्ट में कुल 30 सरकारी व 10 कांट्रेक्ट डॉक्टर सहित 40 डॉक्टर दे रहे सेवा
– मेल मेडिकल, फि-मेल मेडिकल, पीओ, ओटी, आइसीयू, एनआइसीयू, बच्च, गाइनी सहित कुल 10 वार्ड हो रहे संचालित
– 10 वार्डो में सिर्फ 60 बेडों की सुविधा, जमीन पर सोते हैं मरीज
– एक्स-रे मशीन एक साल से खराब, जीवनरक्षक दवा भी लानी पड़ रही बाहर से
एक साल से खराब है एक्स-रे मशीन
रेलवे के सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में सबसे अधिक परेशानी इमरजेंसी विभाग में है. यहां पिछले एक साल से एक्स-रे मशीन खराब है. इससे मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर एक्स-रे कराना पड़ रहा है. इसके अलावा यहां मरीजों को आने-जाने के लिए बनाया गया लिफ्ट भी खराब है. हालांकि एक लिफ्ट चल रहा है, लेकिन मरीजों की संख्या अधिक होने से लंबी कतार लगी रहती है.
रेलवे कर्मचारियों के लिए बनाये गये सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल में मरीजों को सुविधा नहीं मिल पा रही है. यहां पिछले एक साल से एक्स-रे मशीन खराब है. डॉक्टर, दवा व बेड आदि की सुविधा नहीं मिलने से कर्मचारियों को बाहर से इलाज करना पड़ता है. हमारी यूनियन कई बार मांग भी कर चुकी है. लेकिन, समस्या अभी बनी हुई है.
सुनील कुमार सिंह, शाखा मंत्री, इसीआरकेयू
अस्पताल की हालत बिगड़ने से रेलवे कर्मचारी बाहर इलाज करा रहे हैं. एक्स-रे, दवा आदि की व्यवस्था के लिए हम लोग कई बार मांग किये. लेकिन, जिम्मेवार अधिकारी आंखें बंद किये हुए हैं. इसका खामियाजा रेलकर्मी व उनके परिवार के सदस्यों को भुगतना पड़ रहा है.
जफर हसन, अध्यक्ष, पूमरे मजदूर कांग्रेस
अस्पतालों में खत्म हुआ एंटी स्नैक व एंटी रेबिज
पटना. स्वास्थ्य विभाग ने बरसात के पहले सभी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक व सिविल सजर्न को निर्देश दिया गया कि वह अस्पतालों में एंटी स्नैक व एंटी रेबिज की लोकल वैक्सीन खरीद कर इमरजेंसी में रखे. लेकिन, विभाग के निर्देश पर भी पीएमसीएच छोड़ कोई अस्पताल लोकल स्तर पर वैक्सीन नहीं खरीद पाया है. इस कारण से सांप व कुत्ता काटने के बाद जब मरीज अस्पताल पहुंच रहे है, तो उसे वैक्सीन लाने के लिए बाहर भेज दिया जा रहा है.
फिलहाल बिहार के सभी अस्पतालों में एंटी स्नैक व एंटी रेबिज पूरी तरह से खत्म हो चुकी है. इसके लिए बीएमएसआइसीएल को पत्र लिखा जा रहा है. लेकिन, इसका जवाब अभी तक अस्पतालों को नहीं मिला है. पीएमसीएच इमरजेंसी में 20 वायल एंटी स्नैक बचा हुआ है और शनिवार को 15 हजार का एंटी रेबिज लाया गया है, जो सोमवार शाम तक खत्म हो जायेगा.
आइजीआइएमएस : स्वीपर चाहिए, तो लगेगा 250
पटना. आइजीआइएमएस में दिन हो या रात. अगर मरीज को स्वीपर-वार्ड ब्वाय या ट्रॉली मैन की जरूरत होगी, तो इसके लिए परिजनों को कम-से-कम 100 देना होगा. यदि कोई परिजन पैसा देना नहीं चाहता है, तो उसका काम रूक जायेगा और जो काम स्वीपर को करना है वह आपको करना पड़ेगा. वार्ड व इमरजेंसी में तैनात सिस्टर से परिजन अपनी परेशानी बताते है, तो इसको लेकर वह अपना पल्ला झाड़ लेती है और कहती है कि इसकी शिकायत के लिए संस्थान प्रशासन के पास जाओ. वरना पैसा देकर अपना काम करा लो. ऐसे में परिजन मजबूर होकर पैसा देते है.
खुद मरीज की सेवा करनी पड़ी
शनिवार की देर रात इमरजेंसी में भरती महिला मरीज के परिजन ने स्वीपर को बुलाया, तो उनसे 250 रुपये की मांग की. उन्होंने पैसा देने से मना कर दिया. इसके बाद परिजन इमरजेंसी में घूमते रहे और उन्हें एक भी स्वीपर नहीं मिला. परिजनों को खुद मरीज की सेवा करनी पड़ी.
घूस लेनेवाला ही नहीं. घूस देनेवाला भी उतना ही गुनाहगार है. हाल ही में अल्ट्रासाउंड जांच में शिकायत के बाद दाई व अन्य कर्मियों को बदला गया था. फिर से जांच करेंगे. दरअसल दलालों को पहचानने में मुश्किल होती है. वे आम आदमी के साथ मिले रहते हैं. पब्लिक धीरे से पैसा दे देती है. शीघ्र ही उपाय करेंगे.
डॉ एन आर विश्वास, निदेशक, संस्थान
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