पटना. प्रशासन ने सूझ-बूझ से काम लिया होता, तो राजगीर मलमास मेला को ले कर हिंसा न होती. यह बात राजगीर गयी सीपीआइ की जांच टीम की रिपोर्ट में कही गयी है. मलमास मेला में सर्कस और थियेटर पर बैन लगाने के जिला प्रशासन के बैन को ले कर हुई हिंसा की घटना की जांच के लिए सीपीआइ ने अपने विधान पार्षद केदार पांडेय, संजय कुमार सिंह और राम नरेश पांडेय को भेजा था. इन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रशासन ने सावधानी बरती होती, तो यह घटना नहीं होती. राजगीर मकदूम शाह, महावीर और बुद्ध जैसे अहिंसा में विश्वास रखने वाले महा पुरुषों की धरती रही है. नालंदा में पुन: अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को कोशिश की जा रही है. ऐसे में मलमास मेला के नाम पर हिंसा की घटना कहीं से भी शोभनीय नहीं है. विधान पार्षदों ने नालंदा जिला प्रशासन और सभी धर्मावलंबियों से शंति-सद्भाव बनाये रखने की अपील की है. सीपीआइ की टीम ने नालंदा जिला प्रशासन से बिना छानबीन किये आम गिरफ्तारी न करने की अपील की है.
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प्रशासन ने सूझ-बूझ से काम लिया होता, तो राजगीर में नहीं होती हिंसा :भाकपा
पटना. प्रशासन ने सूझ-बूझ से काम लिया होता, तो राजगीर मलमास मेला को ले कर हिंसा न होती. यह बात राजगीर गयी सीपीआइ की जांच टीम की रिपोर्ट में कही गयी है. मलमास मेला में सर्कस और थियेटर पर बैन लगाने के जिला प्रशासन के बैन को ले कर हुई हिंसा की घटना की जांच […]
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