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नीतीश ने कहा, महाविलय में कोई तकनीकी अड़चन नहीं, विलय कमेटी की बैठक बुलाएं मुलायम

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू, राजद, सपा समेत जनता परिवार के छह दलों के विलय में कोई तकनीकी अड़चन नहीं है. इसको सार्वजनिक बहस का मुद्दा बनाने के बजाय नये जनता परिवार के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को सात सदस्यीय कमेटी की बैठक बुलानी चाहिए. उसी बैठक में जो भी तकनीकी […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू, राजद, सपा समेत जनता परिवार के छह दलों के विलय में कोई तकनीकी अड़चन नहीं है. इसको सार्वजनिक बहस का मुद्दा बनाने के बजाय नये जनता परिवार के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को सात सदस्यीय कमेटी की बैठक बुलानी चाहिए. उसी बैठक में जो भी तकनीकी अड़चनों की बात है या फिर जो भी सवाल उठेंगे, उनका समाधान निकाला जायेगा. मुख्यमंत्री 1, अणे मार्ग में आयोजित जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.

पत्रकारों के सवालों के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा कि मुलायम सिंह यादव को जल्द बैठक बुलानी चाहिए. नयी पार्टी के नाम, स्वरूप व सिंबल के बारे में चर्चा की जानी है. जदयू विलय के निर्णय के साथ है और प्रतिबद्ध है. विलय पर अमल करने के लिए जो कार्रवाई करनी होगी, जदयू करेगा. विलय में तकनीकी रूप से अड़चन पर एक व्यक्ति (रामगोपाल यादव) ने विचार दिया है. यह एक विचार है. जब तक औपचारिक रूप से नहीं कहा जाये, तब तक सही नहीं है.

विलय की पूरी प्रक्रिया के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी के भी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हैं और सदस्य के रूप में बाकी पांच दलों के अध्यक्ष व सपा की ओर से रामगोपाल यादव हैं. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी कहा है कि तकनीकी अड़चनें हों, तो गंठबंधन होना चाहिए. ऐसे में जब तक मीटिंग नहीं होगी, तब तक क्लियरिटी नहीं होगी. सार्वजनिक रूप से बात करने की क्या आवश्यकता है. अगर लगे कि कुछ तकनीकी अड़चनें है, तो नये जनता परिवार का सारे दल मिल कर चुनाव आयोग के पास जायेंगे और बातचीत करेंगे. रामगोपाल यादव का बयान आने से पहले की बैठकों में विलय को लेकर न तो कोई डिफरेंस नजर आया है और न ही विलय का चैप्टर क्लोज हुआ है.

केंद्र या सत्तारुढ़ दल का नहीं पीएम राहत कोष से आ रही मदद

भूकंप में मारे गये लोगों के आश्रितों को दिये जा रहे चार-चार लाख में दो लाख केंद्र सरकार की ओर से दिये जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राशि न तो केंद्र या फिर वहां के सत्तारूढ़ दल की ओर से भी नहीं आ रही है, यह राशि प्रधानमंत्री राहत कोष से आ रही है. नये नॉर्म्स के तहत आपदा में मारे गये लोगों के आश्रितों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपये देने हैं. प्रधानमंत्री राहत कोष हो या फिर मुख्यमंत्री राहत कोष दोनों ट्रस्ट है. यही किसी सरकार व पार्टी का पैसा नहीं है. एक केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं, वे लोगों की भावना के साथ खेल रहे हैं. लोग तो डिटेल में नहीं जायेंगे. कुछ भी कह कर लोगों को ये घुमा देंगे. कलाकारों की पार्टी है. काम तो एक आदमी को करना है और बाकी घूम-फिर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर कहा कि उनका क्या बात करें, वह तो भाजपा में समाहित हो गये हैं. उनका लंबा साथ लालू प्रसाद से रहा है. वह ज्यादा जानते हैं.

निगेटिव बोल कर प्रचार करना लेटेस्ट तकनीक

भाजपा के साथ जदयू के जाने के सवाल पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि दोनों पार्टियों का एक साथ जाना अफवाह है. सिर्फ ऐसा बोल कर ही अफवाह फैला कर भ्रम पैदा करना चाहते हैं. जदयू-भाजपा का गंठबंधन कल्पना से परे हैं. यह भाजपा की ओर से अफवाह फैलाने का नया तरीका है. निगेटिव बोल कर प्रचार करना लेटेस्ट तकनीक है. हमलोग उनके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानते हैं.

दिल्ली दौरे के समय केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने और उनके साथ डिनर करने के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि मैं राज्य के हित में कहीं भी जाता हूं. अगर कोई कहीं खाना खाता है, तो क्या दिक्कत है. राजनीति में इतनी गिरावट नहीं होनी चाहिए. राजनीति को मुद्दों पर ही रहना चाहिए. इसे खाना, नाश्ता, चार से नहीं जोड़ना चाहिए. इससे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को कोई परेशानी नहीं थी और न ही उनकी ओर से कोई दबाव था. परेशानी तो कहीं और ही थी.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री विजेंद्र यादव, विजय कुमार चौधरी, राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, लेशी सिंह, जय कुमार सिंह, अवधेश प्रसाद कुशवाहा, श्रवण कुमार, रंजू गीता, श्याम रजक, मनोज कुमार सिंह, विनोद यादव, दुलाल चंद्र गोस्वामी, रमई राम, दामोदर रावत व बैद्यनाथ सहनी मौजूद थे.

चुनाव आयोग जो तारीख तय करें, सभी तैयार

सितंबर-अक्तूबर में बिहार विधानसभा चुनाव के संकेत पर मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग को तारीख निर्धारित करने का अधिकार है. वह कभी भी चुनाव की तारीख तय कर सकता है. मौसम के साथ-साथ कई तरह के त्योहार भी हैं. सबको मालूम है कि चुनाव का साल है. अब आयोग जब चाहे तारीख घोषित करे, सभी तैयार हैं.

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