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मेडिकल कॉलेजों में नहीं कम होंगी सीटें : प्रधान सचिव
केंद्र सरकार व एमसीआइ को लिखा जायेगा पत्र पटना : सूबे के मेडिकल कॉलेजों पर एमसीआइ के निर्णय के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गयी है. मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया मेडिकल कॉलेजों में बढ़ी सीटों के साथ ही बेतिया और पावापुरी मेडिकल कॉलेज में नामांकन पर रोक लगा दिये जाने से करीब 350 सीटें […]
केंद्र सरकार व एमसीआइ को लिखा जायेगा पत्र
पटना : सूबे के मेडिकल कॉलेजों पर एमसीआइ के निर्णय के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गयी है. मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया मेडिकल कॉलेजों में बढ़ी सीटों के साथ ही बेतिया और पावापुरी मेडिकल कॉलेज में नामांकन पर रोक लगा दिये जाने से करीब 350 सीटें घट गयी हैं.
ऐसे में इतने छात्रों को नामांकन के लिए दूसरों राज्यों में भटकना पड़ेगा. इसको लेकर गुरुवार को प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र ने स्थिति की समीक्षा की. प्रधान सचिव ने बताया कि एमसीआइ के निर्णय की कॉपी अभी तक नहीं मिली है. फिर भी इस मामले पर नजर है और हमलोग कॉपी मिलने के तुरंत बाद एमसीआइ व केंद्र सरकार को पत्र लिखेंगे.
किसी भी मेडिकल कॉलेजों में सीटें कम नहीं होगी. इसको लेकर सरकार हर संभव प्रयास करेगी. एमसीआइ की आपत्ति को दूर करने के लिए तीन माह का समय मिला उसे उसके पहले पूरा करने का निर्देश सभी लोगों को दिया गया हैं.
इसके अलावा उन सभी मेडिकल कॉलेजों की कमी को दूर किया जाये, जिसको लेकर एमसीआइ ने बेतिया व पावापुरी मेडिकल कॉलेज को नकार दिया है और भागलपुर, मुजफ्फरपुर व गया से 150 सीट पर नामांकन लेने से रोक दिया हैं.
राज्य की 950 मेडिकल सीटों में 230 सीटें खाली रह गयी थीं. साथ ही डेंटल की 50 सीटों में 18 सीटें खाली रह गयी थी.एक पेंच यह भी फंसा था कि राज्य में 150 एससी-एसटी एवं विकलांग कोटे की 80 सीटें खाली रह गयी थीं. एमसीआइ की शर्तो के अनुसार सामान्य सीटों पर कम से कम पचास प्रतिशत अंक तथा एसटी- एसटी एवं विकलांग कोटे के आरक्षित सीटों पर नामांकन के लिए 40 प्रतिशत अंक का होना अनिवार्य था.
बाद में 40 प्रतिशत अंकों की बाध्यता को शिथिल कर 32 प्रतिशत कर दिया गया. इससे एसस-एसटी व विकलांग छात्रों के नामांकन का रास्ता साफ हो गया था. इसके बाद अगर एमसीआइ कुछ अलग निर्णय लेगी, तो मामला कोर्ट व केंद्र सरकार के समक्ष रखा जायेगा.
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