संवाददाता,पटनाअधिकतर लोग बार-बार कफ, सांस की तकलीफ और छींक का इलाज बिना डॉक्टर की सलाह के करते हैं. इस कारण बीमारी का सही उपचार नहीं हो पाता है. इससे बीमारी घटने के बजाय बढ़ जाती है. ये बातें विश्व दमा दिवस पर पीएमसीएच के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ समरेंद्र झा ने कहीं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर ऐसे समय में मरीजों को प्रेरित करने में विफल होते हैं और दमा के लिए ब्रोंकियल स्पाज्मा व व्हीजिंग कफ इत्यादि वैकल्पिक नाम का इस्तेमाल करते हैं. डॉक्टर भी अधिकतर मरीजों को ओरल दवा देते हैं ताकि वे इनहेलर से जुड़े डर के कारण उपचार को बीच में न छोड़ दें. उन्होंने कहा कि दमा को खत्म करने के लिए बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा और बताना होगा कि बीमारी की पहचान होते ही तुरंत डॉक्टर से मिलें. चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ एस के मधुकर ने कहा कि अस्थमा दीर्घकालीन बीमारी है,जिसमें लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता होती है. कई रोगी जब बेहतर महसूस करते हैं, तो इनहेलर लेना बंद कर देते हैं,जिसका परिणाम काफी गंभीर होता है. इसलिए अस्थमा मरीजों को दवा छोड़ने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
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दमा के मरीज को दें इनहेलर थेरेपी
संवाददाता,पटनाअधिकतर लोग बार-बार कफ, सांस की तकलीफ और छींक का इलाज बिना डॉक्टर की सलाह के करते हैं. इस कारण बीमारी का सही उपचार नहीं हो पाता है. इससे बीमारी घटने के बजाय बढ़ जाती है. ये बातें विश्व दमा दिवस पर पीएमसीएच के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ समरेंद्र झा ने कहीं. उन्होंने कहा कि […]
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