संवाददाता, पटना जदयू विधायक सुमित कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में नियोजित शिक्षक लगातार आंदोलन रत हैं. उनके समर्थन में वेतनमान वाले अन्य शिक्षकों ने कार्य बहिष्कार कर रखा है. इससे मैट्रिक परीक्षा का मूल्यांकन कार्य बाधित है. तयशुदा समय पर मैट्रिक परीक्षा परिणाम नहीं आना तय हो गया है. ऐसे में देश के बेहतरीन शिक्षण संस्थान में पढ़ने के उनके सपने को चकनाचूर करने का जिम्मेवार कौन है? इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेवार हैं. शिक्षक जब आंदोलनरत थे, तो उनसे बातचीत कर सकारात्मक समाधान निकालने की कोशिश क्यों नहीं की गयी? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी प्राथमिकता गिनाते हुए दावा करते रहे हैं कि गवर्नेंस उनकी पहली और आखिरी में प्राथमिकता है तो, नीतीश कुमार यह बताये कि क्या स्कूल में सही तरीके शिक्षण हो, कैलेंडर के अनुसार पढाई हो, समय पर परीक्षा परिणाम आये, यह गवर्नेंस का हिस्सा नहीं है. राज्य के स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान की जाये, यह किसकी जिम्मेदारी है? शिक्षकों की या, राज्य सरकार के प्रमुख की? क्या सुशासन का मतलब यह है कि स्कूलों में ताले लटके रहें, शिक्षक जिन्हें भारतीय समाज में भगवान से अधिक पूज्यनीय माना गया है. वह सड़कों पर धरना-प्रदर्शन करें और मुख्यमंत्री आपकी पुलिस उन पर डंडे बरसाएं. बिहार के लाखों बच्चों का भविष्य अधर में है.
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मैट्रिक के परिणाम में देरी के लिए सरकार जिम्मेदार : सुमित सिंह
संवाददाता, पटना जदयू विधायक सुमित कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में नियोजित शिक्षक लगातार आंदोलन रत हैं. उनके समर्थन में वेतनमान वाले अन्य शिक्षकों ने कार्य बहिष्कार कर रखा है. इससे मैट्रिक परीक्षा का मूल्यांकन कार्य बाधित है. तयशुदा समय पर मैट्रिक परीक्षा परिणाम नहीं आना तय हो गया है. ऐसे में देश के […]
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