याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि धान खरीद मामले में बड़े पैमाने पर बिचौलिये, राज्य खाद्य निगम और मिलर के बीच सांठगांठ है.
इसमें 600 करोड़ से ज्यादा गबन की आशंका है. वहीं, कोर्ट का कहना है कि यह गबन हजार करोड़ से भी ज्यादा है. अधिकारी, बिचौलिये व मिलर की मिलीभगत के बगैर धान खरीद किये पैसे निकाल लिये जाते हैं. किसानों का बोनस भी खा जाते हैं. खंडपीठ ने राज्य सरकार को बताने के लिए कहा है कि वह इस अनियमितता को रोकने व दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है.