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विधानमंडल सत्र: विपक्ष के हंगामे से कार्यवाही ठप

पटना: भोजनावकाश के पूर्व भाजपा ने बिहार विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी. राज्य में गिरती विधि व्यवस्था के सवाल को लेकर भाजपा सदस्य वेल में उतर आये और तब तक नारेबाजी की, जब तक कि सदन की कार्यवाही स्थगित करने की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष ने नहीं की. लंच के पहले सदन की कार्यवाही को […]

पटना: भोजनावकाश के पूर्व भाजपा ने बिहार विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी. राज्य में गिरती विधि व्यवस्था के सवाल को लेकर भाजपा सदस्य वेल में उतर आये और तब तक नारेबाजी की, जब तक कि सदन की कार्यवाही स्थगित करने की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष ने नहीं की. लंच के पहले सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित करना पड़ा. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष और सरकार ने विपक्ष को समझाने का असफल प्रयास किया.

उधर, विधान परिषद की शुरू हुई कार्यवाही शोर-शराबे के कारण तीन मिनट में ही स्थगित करनी पड़ी. सोमवार को जैसे ही विधानसभा में प्रश्नकाल शुरू हुआ कि विपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने आसन से मुंगेर, मुजफ्फरपुर सहित राज्य में गिरती विधि व्यवस्था को लेकर सरकार से जवाब की मांग की. भाजपा कार्यस्थगन के माध्यम से इस विषय पर चर्चा कराना चाहती थी. उधर सत्ता पक्ष की ओर जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने विपक्ष को यह कहते हुए शांत करने की कोशिश की कि सरकार हर प्रश्न का जवाब देने को तैयार है. विपक्ष अपनी बातों को विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के तहत लाये. पर यह तय कर लेना कि सदन की कार्यवाही ही नहीं चले, यह कौन सा संसदीय प्रणाली है. विपक्ष के सरकार से इस्ताफे की मांग करने से कोई सरकार इस्तीफा देती है क्या.

इधर भाजपा सदस्यों के वेल में आ कर हंगामा करने को लेकर आसन से बार-बार अपनी सीट पर जाने का आग्रह किया जाता रहा. भाजपा सदस्य शांत होने का नाम नहीं ले रहे थे. हंगामे के बीच ही आसन की ओर से डा प्रमोद कुमार सिंह का अल्पसूचित प्रश्न और उसका उत्तर दिलाया गया. साथ ही मनीष कुमार के तारांकित प्रश्न का जवाब सदन में प्रभारी मंत्री ने दिया. इन दोनों प्रश्नों का उत्तर कोलाहल में खो गया. दोपहर 12.30 बजे जैसे ही दूसरी बार सदन आहूत हुई और अध्यक्ष की ओर से अरुण शंकर प्रसाद, तारकिशोर प्रसाद, संजय सिंह टाइगर, सुरेंद्र सिंह मेहता के कार्यस्थगन प्रस्ताव को अमान्य किया गया वैसे ही भाजपा के सदस्य पुन: उसी मुद्दे को लेकर वेल में उतर आये. हंगामे के बीच लोक लेखा समिति के सभापति ललित यादव, निवेदन समिति के सभापति शालिग्राम यादव और शून्यकाल समिति के सभापति विनोद नारायण झा ने संबंधित प्रतिवेदन सदन पटल पर रखा. हंगामे के बीच ही दिनेश कुमार सिंह ने अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना को पढ़ा.

विप में जम कर हुई नारेबाजी

विधान परिषद की सोमवार को शुरू हुई कार्यवाही शोर-शराबे के कारण तीन मिनट में ही स्थगित करनी पड़ी. सभापति अवधेश नारायण सिंह ने पहले सत्र में जैसे ही कार्यवाही शुरू करने की घोषणा की, भाजपा सदस्य बैद्यनाथ प्रसाद ने कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया. सभी भाजपाई सदस्य पहले तो अपनी सीट पर खड़े होकर सरकार विरोधी नारा लगाने लगे और विद्यार्थी परिषद के छात्रों को रिहा करने की मांग करने लगे. इसके बाद सभी सदस्य परिषद में हाथों में नारे लिखे बोर्ड लेकर वेल में आ गये. ‘छात्रों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लो, लाठी-गोली चलानेवाले अधिकारियों को मुअत्तल करो, लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ समेत अन्य नारे लगाने लगे.वहीं दूसरी तरफ सत्ता पक्ष से संजय कुमार सिंह, नीरज कुमार ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि परिषद की कार्यवाही बाधित करने की परंपरा हो गयी है. इसके बाद जदयू के अन्य सभी सदस्य भी विरोध करने लगे. एबीवीपी के बारे में कहा कि गलती भी करते और सीनाजोरी भी करते हैं.

लाठीचार्ज का वीडियो फुटेज सरकार ने देखा है, जिसमें यह स्पष्ट हो गया है कि गलती किसकी है. सरकार इस पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए तैयार है, लेकिन ये लोग कार्यवाही बाधित करके इसके लिए मौका ही नहीं दे रहे हैं. शोर-शराबा बढ़ता देख सभापति ने भोजनावकाश तक के लिए परिषद की कार्यवाही स्थगित करने की घोषणा कर दी.

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