पटना: राज्य में करीब आठ हजार करोड़ का कारोबार करनेवाले निजी बैंक यहां के छात्रों को शिक्षा ऋण नहीं दे रहे हैं. वहीं, लोन देने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का भी प्रदर्शन अच्छा नहीं है, जबकि सरकार का निर्देश है कि जिलों में कैंप लगा कर छात्रों से आवेदन लेकर शिक्षा ऋण बांटे जाये. पहली बार जुलाई में जिलों में कैंप लगे भी, लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया.
राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की 21 अगस्त को जारी रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से जून तक तीन महीने में 80 हजार लक्ष्य के विरुद्ध 10 प्रतिशत छात्रों को भी शिक्षा ऋण नहीं मिल पाया. इस अवधि में बैंकों ने 7100 छात्रों को 214.78 करोड़ रुपये का ऋण बांटे, जबकि राज्य भर में लगे कैंपों में 2621 आवेदन एकत्र हुए. गौरतलब है कि शिक्षा ऋण के लिए राशि निर्धारित नहीं है, छात्रों की संख्या तय की गयी है.
रोक लगी, पर नहीं बदला रवैया
जहां तक निजी क्षेत्र के बैंकों की बात करें, तो बैंक ऑफ महाराष्ट्र, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, आइसीआइसीआइ बैंक, फेडरल बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, वैश्य बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी, इंडसइंड, कर्नाटक बैंक व कोटक महिंद्रा ने एक भी छात्रों को शिक्षा ऋण नहीं दिया है. पिछले साल भी बैंकों का यही रवैया था. अंत में सरकार को निजी क्षेत्र के बैंकों में सरकारी धन रखने पर रोक लगाने का निर्णय लेना पड़ा था. सरकार का मानना है कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में बैंकों को निवेश करने की अपार संभावना है. इस पर बैंकों को ध्यान देना चाहिए.