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चितकोहरा पुल-सब्जीबाग से होगी शुरुआत

समाज कल्याण विभाग की इकाई ‘सक्षम’ व टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ‘कोशिश’ के सहयोग से शुरू होगी योजना पटना : राज्य सरकार सड़क किनारे रहनेवाले बच्चों को मेन स्ट्रीम से जोड़ने के लिए अब कम्युनिटी इंटरवेंशन प्रोग्राम चलायेगी. ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें शिक्षित किया जायेगा. समाज के वैसे बच्चे जो भीख मांगते […]

समाज कल्याण विभाग की इकाई ‘सक्षम’ व टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ‘कोशिश’ के सहयोग से शुरू होगी योजना
पटना : राज्य सरकार सड़क किनारे रहनेवाले बच्चों को मेन स्ट्रीम से जोड़ने के लिए अब कम्युनिटी इंटरवेंशन प्रोग्राम चलायेगी. ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें शिक्षित किया जायेगा. समाज के वैसे बच्चे जो भीख मांगते हैं या कूड़ा चुनने का काम करते हैं. उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जायेगा.
समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित इकाई ‘ सक्षम ’ व टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई की एजेंसी ‘ कोशिश ’ की ओर से पटना में इसकी शुरुआत की जानी है. शुरुआत राजधानी के चितकोहरा पुल और सब्जीबाग के इलाके से की गयी है. इसके बाद पटना के अन्य जगहों पर इसे शुरू किया जायेगा.
तीन माह तक बच्चे होंगे अप-टू-डेट
बच्चों की पहचान कर उन्हें तीन माह तक चार से पांच घंटे तक पढ़ाया जायेगा. सेनिटेशन व हाइजिन की जानकारी देते हुए सामान्य बच्चों के रूप में तैयार किया जायेगा. इसके बाद बच्चों की काउंसेलिंग कर उन्हें शिक्षा से जोड़ने के लिए उम्र के अनुसार शॉर्ट टर्म कोर्स कराये जायेंगे. इसमें बच्चों की स्वास्थ्य जांच भी शामिल है. इसके लिए स्कूली बच्चों को भी जोड़ा गया है, जो इन बच्चों को स्कूल आने के लिए मोटिवेट करेंगे. वहीं कॉलेजों में भी जागरूकता अभियान चलाया जाना है.
स्थानीय स्कूलों में होगा नामांकन
तीन माह के बाद अप-टू-डेट बच्चों का नामांकन कर उन्हें स्कूल से जोड़ा जायेगा. इसके लिए निजी व सरकारी विद्यालयों में इनरॉलमेंट कराया जायेगा. उम्र के अनुसार बच्चों को स्कूल में नामांकन कराने के बाद छह माह से एक साल तक बच्चों की मॉनीटेरिंग की जायेगी. कोशिश के प्रोग्राम कंसलटेंट यशस्वी द्विवेदी ने बताया कि चितकोहरा में 10-20 बच्चों के साथ इसकी शुरुआत की गयी है. जल्द ही अन्य जगहों पर इसे शुरू किया जायेगा.
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत की गयी है. इसमें छह से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों को रखा जाना है. बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए उन्हें चार से पांच घंटे तक पढ़ाया जा रहा है. इसके बाद उन्हें स्कूल से जोड़ा जायेगा.
कायम मासूमी, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, कोशिश

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