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संसदीय समिति ने दर घटाने को कहा था

पार्लियामेंट्री कमेटी ऑफ एनर्जी ने इस साल जनवरी में सभी राज्यों के रेगुलेटरी कमीशन को बिजली दर कम करने के लिए पत्र लिखा था.पत्र में कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल व कोयले की कीमत में गिरावट आने का लाभ बिजली उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए, क्योंकि इससे बिजली उत्पादन में 40 से […]

पार्लियामेंट्री कमेटी ऑफ एनर्जी ने इस साल जनवरी में सभी राज्यों के रेगुलेटरी कमीशन को बिजली दर कम करने के लिए पत्र लिखा था.पत्र में कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल व कोयले की कीमत में गिरावट आने का लाभ बिजली उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए, क्योंकि इससे बिजली उत्पादन में 40 से 50 फीसदी कम खर्र्च आयेगा. कमेटी के अध्यक्षश् व भाजपा सांसद डॉ किरीत सोमैया द्वारा भेजे गये पत्र में इस बात पर आश्चर्य जताया गया है कि बिजली कंपनी 15 से 30 फीसदी बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल व कोयले की कीमत में भारी गिरावट हुई है. आयातित क्रूड ऑयल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल से घट कर 50 डॉलर प्रति बैरल हो गये हैं. आयातित कोयले की कीमत में भी कमी आयी है. ईंधन की कीमतों में एक साल से कमी आ रही है. ऐसी परिस्थिति में बिजली कंपनियों को छह महीने पहले से बिजली दर में कमी कर देनी चाहिए थी. पत्र में कहा गया है कि आयातित क्रूड ऑयल व कोयले की कीमत में कमी से बिजली कंपनियों को बिजली के उत्पादन में पिछले साल 40 फीसदी कम खर्च हुआ. अगले साल 50 फीसदी कम खर्च होने की संभावना है. कमेटी ने रेगुलेटरी कमीशन को इस दिशा में करेक्टिव स्टेप उठाने के लिए कहा है, ताकि उपभोक्ताओं को बिजली दर में राहत मिल सके.राज्य में अपना बिजली उत्पादन नहीं होने से वर्तमान में बिजली के लिए सेंट्रल सेक्टर पर निर्भर रहना पड़ता है. एनटीपीसी, एनपीएचसी, अदाणी, ओपेन मार्केट के अलावा अन्य श्रोत से बिजली खरीद की जाती है.

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