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रेड लाइट एरिया को मुख्य धारा से जोड़ें

पटना: बदलाव का दौर जारी है. सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही रूप में. गांव की महिलाएं भी अब दोहरी लांघ आगे बढ़ रही हैं. दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों की महिलाएं भी कॉरपोरेट क्षेत्र की ओर अग्रसर हैं. बावजूद जड़ताओं का टूटना बाकी है. रेड लाइट एरिया की महिलाएं भी इन्हीं जड़ताओं की शिकार हैं, जो […]

पटना: बदलाव का दौर जारी है. सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही रूप में. गांव की महिलाएं भी अब दोहरी लांघ आगे बढ़ रही हैं. दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों की महिलाएं भी कॉरपोरेट क्षेत्र की ओर अग्रसर हैं. बावजूद जड़ताओं का टूटना बाकी है. रेड लाइट एरिया की महिलाएं भी इन्हीं जड़ताओं की शिकार हैं, जो कई सामाजिक परिस्थितियों से जूझ रही हैं.

उक्त बातें शनिवार को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में वक्ताओं ने कहीं. वर्ल्ड वीजन इंडिया, बाल संरक्षण अधिकार आयोग व एटसेक के संयुक्त तत्वावधान में रेड लाइट एरिया की महिलाओं व बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने के दिशा में राज्यस्तरीय कार्यशाला हुई.

मानव अधिकारों की करनी होगी रक्षा
न्यायाधीश वी एन सिन्हा ने कहा कि आज भी समाज मानव से ही सृजित है. ऐसे में हमें मानव के अधिकारों की रक्षा करनी होगी. तभी हम समृद्ध समाज की कल्पना कर सकेंगे. बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष निशा झा ने कहा कि कई बार कुछ नामों को हम अलग रूप से पहचान देने की कोशिश करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम उन महिलाओं को रेड लाइट एरिया के नाम से नहीं,बल्कि विशेष समुदाय के रूप में जाने. उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का पहला प्रयास होगा. मौके पर वर्ल्ड वीजन के बीन चाको, एसटेक बिहार से वाइ के गौतम, प्रयास भारती ट्रस्ट से डॉ सुमन लाल समेत कई उपस्थित थे.

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